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(SDM College) विशेषज्ञों ने लोकगीतों और लोक कथाओं के महत्व को बताया

डोईवाला। एसडीएम कॉलेज के तत्वाधान में आइक्यूएसी और अंग्रेजी विभाग द्वारा दो-दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया।

लोककथाओं, लोकगाथाओं की गतिशीलता विषय पर आधारित इस ऑनलाइन गोष्ठी में देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों ने व्याख्यान दिया। गोष्ठी के प्रथम दिन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के प्रो धनंजय सिंह ने अपने व्याख्यान में पूरब और पश्चिम के लोकसाहित्य और जीवन को साहित्य के परिपेक्ष्य में विस्तार से बताया।

हैदराबाद विश्वविद्यालय से जुड़े प्रो जोली पृथ्सरी ने बताया कि वर्तमान युग में डिजिटल मीडिया लोकसाहित्य को गति देने में बाधक न होकर उसे संरक्षित करने में अमूल्य योगदान दे सकता है। अरुणाचल विश्वविद्यालय से जुड़े प्रो हैजोबाम वोकेन्द्रों ने मणिपुरी लोककथाओं पर प्रकाश डालते हुए सामाजिक संरचना में उनके योगदान को बताया। दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध गार्गी कॉलेज से जुड़ी डॉ अरुणिमा दास ने शहरी लोककथाओं पर प्रकाश डाला।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से जुड़े डॉ सचिन तिवारी ने ओराओं जनजाति के रॉक आर्ट पर किया अपना शोधपत्र साँझा किया।गोष्ठी के दूसरे दिवस में चेन्नई से जुड़े प्रो एवलोगन ने तमिल लोककथाओं, रीतियों, मुहावरों पर विस्तृत व्याख्या की। लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े प्रो ओंकार नाथ उपाध्याय ने गिरमिटिया मज़दूरों और उनमें प्रचलित लोक साहित्य, लोकगीतों की विस्तृत चर्चा की।

उत्तराखंड के लोकसाहित्य, लोककथाओं और रीतियों पर प्रख्यात लोककथाकार प्रो डी आर पुरोहित ने रोचक जानकारियां दी। भोपाल से गोष्ठी में प्रतिभाग करते प्रो मनीष शर्मा ने अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न जनजातियों के लोक- नृत्यों को स्लाइड के माध्यम से बताया। इस गोष्ठी में प्रतिभागियों ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए, जो लोकसाहित्य में शोध हेतु महत्वपूर्ण हैं।

गोष्ठी में 1050 प्रतिभागियों ने रजिस्टर किया। अध्यक्षता प्राचार्य डॉ डी सी नैनवाल व संचालन अंग्रेजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ पल्लवी मिश्र ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के डा० एसपी सती, डा० डीएन तिवाड़ी, डा० आरएस० रावत, डा० एमएस० रावत,डा० संतोष वर्मा, डा० एसके कुड़ियाल उपस्थित रहे।

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