उत्तराखंडएक्सक्यूसिवदेशदेहरादूनधर्म कर्मपर्यटनमौसमराजनीतिस्वास्थ्य और शिक्षा

अंतिम सांसे गिन रहा, मैं रानीपोखरी का पुल हूं……

Uttarakhand. अपनी अंतिम सांसे गिन रहा, मैं जाखन नदी पर बनाया गया रानीपोखरी का पुल हूं।

27 अगस्त 2021 की सुबह मैं 57 साल की उम्र पूरा कर बूढा होकर जाखन नदी में समा गया। 1964 में मुझे बनाया गया था। कहा जाता है कि उस समय पूरे राज्य में मुझसे लंबा और चौड़ा कोई दूसरा पुल नहीं था। स्थानीय लोगों द्वारा कहा जाता है कि यूपी के तत्कालीन सिंचाई मंत्री गिरधारीलाल द्वारा मुझे बनवाया गया था। मेरे गिरने के बाद मेरे बारे में कहा जा रहा है कि मैं बहुत बूढा हो गया था इसलिए पानी के बहाव में बह गया।

लेकिन मैं नई पीढी को बताना चाहता हूं कि लगभग दो दशक पहले तक जाखन नदी में आज से कई गुना पानी आता था। जाखन के बहने की आवाज कई किलोमीटर दूर आसपास के गांवों में भी सुनी जाती थी।

 

लेकिन कभी मेरे पांव नहीं कांपे। और मेरा अस्तित्व कायम रहा। अपने वजूद से ही मैं रानीपोखरी की विशेष पहचान रहा हूं। लेकिन अब मेरा अस्तित्व समाप्त हो चुका है। और अब सिर्फ मैं लोगों की यादों में ही रहूंगा।

लेकिन ये भी सच है कि यदि मेरा ढंग से रख-रखाव किया जाता और मेरी जड़ें नहीं खोदी जाती तो मैं भले ही भारी वाहनों का बोढ नहीं ढो पाता लेकिन अपनी जबह खड़ा जरूर रहता। जैसे कई रिटायर्ड कर दिए पुल अभी भी खड़े हैं। कहा जाता है कि जो अपनी धरोहरों का ध्यान नहीं रखता उसका इतिहास बदल जाता है।

ये भी पढ़ें:  ज्वालापुर और झबरेड़ा में भाजपाइयों ने निकाला रोड शो

मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है। लेकिन मरते-मरते भी मुझे उन लोगों की चिंता है जिन्हे अब तीर्थनगरी और पहाड़ों तक जाने के लिए कई किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ेगी।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!