जौलीग्रांट के इस किसान ने जैविक तरीक़े से उगाया काला गेहूं, कई बीमारियों में है लाभदायक


इम्यूनिटी बढाने और कई रोगों में रामबाण है काला गेहूं
देहरादून। जौलीग्रांट के एक किसान ने क्षेत्र ही नहीं पूरे प्रदेश में काला गेहूं उगाकर खेती-किसानी के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा है।
बिचली जौलीग्रांट निवासी और वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता राजकुमार पुण्डीर ने अपने खेत में जैविक तरीके से काला गेहूं उगाया है।

उन्होंने दिसंबर के महीने में अपने खेत में काले गेहूं की बुआई की थी। और उसके बाद अपने खेत में किसी भी तरह का रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया था। मंगलवार को उन्होंने गेहूं की कटाई के बाद मशीन से गेहूं निकाला। एक बिघा खेत में प्रयोग के तौर पर बोए काले गेहूं का उत्पादन ढाई कुंतल के लगभग हुआ है।
जिससे वो काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि यदि वो अपने खेत में यूरिया, डीएपी या दूसरे रासायनिक उर्बरकों को ड़ालते तो उत्पादन और अधिक हो सकता था। लेकिन वो चाहते थे कि जैविक तरीके से काले गेहूं को अपने खेत में उगाए। संबधित खबर दैनिक आमोघ 18 दिसंबर के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित कर अपने पाठकों को दे चुका है।

इम्यूनिटी बढाने और दूसरे रोगों में रामबाण है काला गेहूं
देहरादून। काले गेहूं का सेवन करने से दिल की बीमारियों के होने का खतरा कम होता है, क्योंकि काले गेहूं में ट्राइग्लिसराइड तत्व मौजूद होते हैं, इसके अलावा काले गेहूं में मौजूद मैग्नीशियम उच्च मात्रा में पाया जाता है जिससे शरीर में कोलेस्ट्राल का स्तर को सामान्य बनाए रखने में मदद मिलती है।
काले गेहूं का नियमित सेवन करने से शरीर को सही मात्रा में फाइबर प्राप्त होता है। जिससे पेट के रोगों खासकर कब्ज में लाभ मिलता है। डायबिटीज में असरदार मधुमेह वाले लोगों के लिए सबसे उपयोगी होता है क्योंकि इसका सेवन करने से रक्त शर्करा यानि ब्लड शुगर को कम करने में मदद मिलती है।
नए ऊतकों को बनाने में कारगर काले गेहूं में मौजूद जरूरी पौषक तत्वों में से एक फास्फोरस भी होता है, जो शरीर में नए ऊतकों को बनाने के साथ उनके रखरखाव में अहम भूमिका निभाता है। काले गेहूं के सेवन से एनिमिया की बीमारी को दूर किया जा सकता है। इससे शरीर में आक्सीजन का स्तर सही रहता है।
इन्होंने कहा
काले गेहूं का सेवन निश्चित रूप से कई बिमारियों में लाभदायक है। लेकिन इसे जैविक तरीकों से ही उगाया जाना चाहिए। फिलहाल उनके विभाग में काले गेहूं का बीज उपलब्ध नहीं है। इसलिए किसान दूसरे किसानों या अपने स्तर से कोई व्यवस्था बनाकर बीज लें सकते हैं। डीएस असवाल, सहायक कृर्षि अधिकारी डोईवाला।

