गाय नहीं अब कुत्ता पालने पर जोर, मवेसियों को सड़कों पर छोड़ा

सड़कों पर छोड़े पालतु पशु पहुंचा रहे किसानों की फसलों के नुकसान
चंद्रमोहन कोठियाल
डोईवाला। गांवों का इस कदर शहरीकरण हो रहा है कि अब खेती की जमीन काफी कम बची है।
और जो खेती बची हुई है उस पर भी कई लोग खेती नहीं करना चाहते हैं। जिस कारण पशुपालन भी प्रभावित हुआ है। लोगों ने खेती-किसानी छोड़कर और पशुपालन छोड़कर गायों को सड़कों पर छोड़ दिया है। पशुओं के झुंड के झुंड अब आवारा बनकर इधर-उधर घूमकर बचे हुए किसानों की फसलों को चट कर रह हैं।
डोईवाला के जिन गांवों के घरों में एक या दो दशक पहले तक कई पालतु और दुधारू पशु हुआ करते थे। उन घरों में अब एक भी पालतु पशु नहीं दिखाई देता है। गांवों में भी लोग दूध दूधवाले, डेरी या दुकान से ही खरीद रहे हैं।
और सब्जियां भी ज्यादातर मोल की ही खा रहे हैं। लोगों द्वारा धीरे-धीरे पशुपालन बंद किया जा रहा है। एक या दो दशक पहले तक खेतों में बैलों से हल चलाया जाता था। लेकिन यहां के गांवों में बैल अब देखने को भी नहीं मिलते हैं। भैंस भी विलुप्त सी हो गई है। गायों को लोगों ने सड़कों पर छोड़ दिया है।
जिन गांवों में सैकड़ों मवेसियों को जंगल लेकर जाने वाला चरावाह होता था। वहां भी अब लोग पशुपालन से मुंह मोड़ रहे हैं। डोईवाला में जनसंख्या विस्फोट के कारण जिन गलियों या सड़कों में सुबह से शाम तक कुछ गांव के ही लोग दिखते थे। उन गलियों और सड़कों में भारी-भीड़ लगी हुई है। लग्जरी कारें फर्राटा भरती हुई गांव की सड़कों और गलियों में दिखाई देती हैं।
कई लोग अब गायों की जगह कुत्ते पालना पसंद कर रहे हैं। कुत्ते पालने का फैशन अब गांववालों के सिर चढकर बोल रहा है। कई लोगों ने तो एक से अधिक कुत्ते पाल रखे हैं। गाय चराने जाने की जगह अब लोग सड़कों पर कुत्ता घूमाते हुए दिखाई देते हैं। सड़कों पर छोड़े गए मवेसी अब बचे-खुचे किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। गांव अब महानगरों की तर्ज पर आगे बढ रहे हैं।
बच्चों और युवाओं का ध्यान अब दूध-घी की बजाय चाऊमिन, मोमो, पिज्जा, बर्गर आदि फास्ट फूड की तरफ है। यही कारण है कि गांव की गलियों में फास्ट फूड की दुकानों की बाढ सी आ गई है। सड़कों खासकर हाईवे पर छोड़े गए पशुओं से दुघर्टनाओं का खतरा काफी बढ गया है। कई दोपहिया चालक मवेसियों से टकराकर अपनी जान गंवा चुके हैं।
आवारा पशुओं को संरक्षण की व्यवस्था करे सरकार
डोईवाला। अठुररवाला के वार्ड संख्या 7, 8 व 9 में आवारा पशु इन दिनों फसलों को पहुंचा रहे हैं। मुख्यमंत्री को नपा के माध्यम से भेजे ज्ञापन में कहा है कि आवारा पशु उनकी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं इसलिए इस समस्या के निवारण के लिए आवारा पशुओं के संरक्षण के लिए सरकार व्यवस्था करें। कहा कि पालिका प्रशासन को भी इस समस्या के बारे में पूर्व में अवगत करवाया था लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई इस पर नहीं हुई है।
ज्ञापन सौंपने वालों में अपन में सभासद संदीप नेगी, प्रदीप नेगी, शशि नेगी, बसंती नेगी, दीपा नेगी, बीना देवी, गौरी देवी, कृष्णा देवी, लक्ष्मी, पूनम, सीता, कुसुम नेगी, कमल नेगी, बैसाखी नेगी, बबली नेगी, लक्ष्मी देवी, गीता देवी आदि के हस्ताक्षर हैं।
इन्होंने कहा
गांवों का तेजी से शहरीकरण हो रहा है। जमीनें काफी कम हो गई हैं। जंगल सिकुड गए हैं। जिसका सीधा असर पशुपालन पर पड़ा है। युवा पीढी का भी पशुपालन में कोई खास लगाव नहीं है। जिस कारण शहरी कल्चर अब गांवों में भी देखने को मिल रहा है। डॉ आरएस रावत, प्रवक्ता समजशास्त्र एसडीएम कॉलेज डोईवाला।
उन्होंने अपने प्रयासों से अपनी भूमि पर 2019 में कालूसिद्ध के पास आसपास छोड़े गए पशुओं को रखने के लिए गौशाला बनाई थी। जिसमें 483 तक पशु हो गए थे। सरकार ने निकायों में छोड़े गए पशुओं के लिए पशुपालन विभाग को दस करोड़ का बजट दिया है। नगर पालिका के माध्यम से छोड़े गए पशुओं की व्यवस्था हो सकती है। डबल सिंह भंडारी, पूर्व प्रधान व समाजसेवी।