डोईवाला में विकास कार्य: ग्रामीणों ने पहले खुद अस्थायी पुल बनाया अब कच्चे रास्ते को पसीना बहाया

बुल्लावाला के लोगों ने सरकार और संबधित विभाग को आयना दिखाया
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के चुनावी क्षेत्र डोईवाला में विकास कार्यो के लिए खुद ग्रामीणों को आगे आकर श्रमदान कर अस्थायी पुल और कच्चे रास्ते बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
बुल्लावाला-सत्तीवाला के बीच सुसवा नदी पर सरकार और लोक निर्माण विभाग की उपेक्षा से परेशान होकर ग्रामीणों ने खुद ही सुसवा नदी पर करीब एक माह पूर्व अस्थायी पुल का निर्माण कर ड़ाला था। उसके बाद अब ग्रामीणों ने पुल के दोनों तरफ के कच्चे रास्तों को ठीक करने के लिए पसीना बहाया, और कच्चे रास्ते का निर्माण किया। ये सब राजधानी से महज 20-25 किलोमीटर दूर स्थित डोईवाला का हाल है। जहां के विधायक खुद मुख्यमंत्री हैं। और भाजपाई बार-बार दावा करते हैं कि पूरे राज्य से अधिक विकास कार्य डोईवाला में किए जा रहे हैं। कांग्रेसी भी इस मुद्दे पर मौन हैं। 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा व कॉंग्रेस दोनो ही बड़े दलों ने इस पुल के निर्माण करने की बात अपने एजेंडे में रखी थी।
डोईवाला के उस समय के विधायक हीरा सिंह बिष्ट द्वारा पुल निर्माण का शिलापट भी लगाया गया था। लेकिन चुनाव बीतने के बाद दोनों दलों के किसी नेता ने इस तरफ झांकने तक की जहमत नहीं उठाई। जिस कारण लोगों को लगभग हर वर्ष अस्थाई पुल और कच्चे मार्ग को खुद ही गैंती, फावड़ा उठाकर कार्य करना पड़ता है। और ये अस्थाई निर्माण हर वर्ष सुसवा में आने वाले तेज पानी के बहाव में बह जाता है।
क्षेत्र पंचायत सदस्य राजेन्द्र तड़ियाल ने कहा कि सुसवा नदी पर पुल की समस्या मुख्यमंत्री के संज्ञान में है। भाजपा नेता मनोज काम्बोज ने कहा कि शीघ्र ही पुल निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है।
मारखमग्रांट वार्ड एक की ग्राम पंचायत सदस्य आशिया परवीन, वार्ड 4 की सदस्य मंजू देवी, वार्ड सदस्य पदम सिंह, वार्ड सदस्य विष्णु रौथाण, वार्ड सदस्य सुभम काम्बोज व ग्रामीण जाकिर हुसैन, मेहफूज अली, रियाज़ अली ने भी सुसवा नदी पर पुल निर्माण की मांग की है।
बुल्लावाला-सत्तीवाला पुल निर्माण कार्य के प्रथम चरण की स्वीकृति हो गई थी। लेकिन अब ये कार्य वर्ल्ड बैंक को सौंप दिया गया है। राजेंद्र टम्टा, सहायक अभियंता लोनिवी।