

एयरपोर्ट के एटीसी टॉवर की बिल्डिंग में महिला शौचालय की सीट से कोबरा सांप निकलने से हड़कंप
Dehradun. जौलीग्रांट एयरपोर्ट की एटीसी टॉवर की बिल्डिंग में उस वक्त हड़कंप मच गया। जब एक छह फीट लंबा कोबरा सांप महिला शौलालय की सीट से जीफ फड़फड़ाने लगा।
आनन-फानन में एयरपोर्ट सुरक्षा कर्मियों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी। जिसके बाद मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने महिला शौचालय की सीट से क्रोबा पकड़ने को रेस्क्यू किया। मंगलवार सुबह करीब सात बजे जब एयरपोर्ट पर फ्लाइटें आने का समय होता है। तभी कहीं से एक लगभग छह फीट लंबा क्रोबा एटीसी टॉवर की बिल्डिंग में महिला शौचालय की सीट में घुस गया।
यह कोब्रा शौचालय की सीट के अंदर कुंडली मारकर बैठ गया। इसके बाद वहां हड़कंप मच गया। जिसके बाद एयरपोर्ट सुरक्षा कर्मियों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी। थानों वन रेंज से वन विभाग की एक रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। और कोब्रा को रेस्क्यू कर एटीसी बिल्डिंग से बाहर निकाला गया। बाहर निकालने के बाद टीम ने कोब्रा को एक थैले में बंद किया।
और अपने साथ ले गई। कोब्रा की लंबाई लगभग छह फीट के आसपास बताई गई है। इस बिल्डिंग में पहले भी कई बार सांप और अजगर निकल चुके हैं। जिसके लिए वहां बॉक्स लगाए गए हैं। थानों वन रेंज के रेंजर एनएल उनियाल ने कहा कि एयरपोर्ट के एटीसी टॉवर की बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर पर शौचालय की सीट से एक कोब्रा को रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा गया है।
जंगल में बना है एयरपोर्ट इसलिए आते हैं वन्य जीव
Dehradun. देहरादून एयरपोर्ट को थानों वन रेंज का जंगल काटकर बनाया गया है। 2006-07 में एयरपोर्ट का विस्तारीकरण कर इसे पूरी तरह कामर्शियल एयरपोर्ट बना दिया गया है। वर्तमान में इस एयरपोर्ट पर देश के विभिन्न शहरों से 25 के लगभग फ्लाइटें आती हैं।
इसके अलावा चार्टड विमानों और हेलीकॉप्टरों की आवाजाही अलग है। लेकिन एयरपोर्ट बनाते हुए वन्य जीवों को ध्यान में नहीं रखा गया।
जिसका असर ये हुआ कि वन्य जीवों के आवास प्रभावित हुए हैं। 2007 से लेकर अब तक एयरपोर्ट के रनवे पर हिरण, गीदड़, भेडिए, विभिन्न प्रकार के पक्षी, गुलदार से लेकर हाथी तक चहलकदमी कर चुके हैं। जिन्हे रेस्क्यू कर पकड़ा जा चुका है।
या फिर भगाया गया है। एयरपोर्ट पर सांप पाया जाना आम बात हो गई है। लेकिन इसके बावजूद अब देहरादून एयरपोर्ट को इंटरनेशनल बनाने की तैयारी की जा रही है। जिसके लिए थानों वन रेंज के एक और बड़े हिस्से से पेड़ों को काटने की तैयारी की जा रही है।

