शास्त्री जी को तोलने के लिए रखा 57 किलो सोना केंद्र को सौंपा

जयपुर। देश के दूसरे प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री को तोलने के लिए साल 1965 में राजस्थान में सोना जमा किया गया था।
जब शास्त्री जी राजस्थान नहीं जा पाए तो यह सोना उदयपुर कलेक्टर ने जब्त कर लिया था। अब 56 साल बाद सोना कलेक्ट्रेट के माल खाने से बाहर आ गया है। अब यह सुना केंद्र सरकार को सौंप दिया गया है।
जिस समय सोना कलेक्ट्रेट के माल खाने में जमा कराया गया था तब इस 56 किलो 863 ग्राम था। तब इसकी कीमत पांच लाख रूपए थी। अब सोना निकाला गया तो यह 67. 800 किलो मिला है। जिसकी कीमत 32 करोड़ से अधिक है। सोना लेने के लिए सेंटर गुड्स एंड सर्विस टैक्स सीजीएसटी टीम उदयपुर पहुंची थी।
सोमवार आधाी रात को टीम 64 किलो सोने के आभूषण और सोने के बिस्किट लेकर दिल्ली रवाना हो गई। बचा हुआ 3.2 किलो का सोना फिलहाल माल खाने में ही जमा करा दिया गया है। बचे हुए सोने के बिस्किट और दस्तावेजों पर लिखे शब्दों में अंतर आ रहा है। और अब फिर से कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया जाएगा। जिसके बाद फैसला होगा। वर्ष 1965 में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को तोलने के लिए छोटी सादड़ी के गणपत आंजणा नामक व्यवसाई ने सोना जमा किया था।
तत्कालीन प्रधानमंत्री शास्त्री जी बड़ी सादड़ी नहीं आए तो सोना कलक्टर के पास जमा करा दिया गया। इसी शास्त्री की मौत हो गई। और सोना चित्तौडगढ कलेक्टर ने जब्त कर लिया। मामले में गांव के गुणवंत नामक व्यक्ति ने गणपत हीरालाल आदि पर 1969 में केस कर दिया। गुणवंत का कहना था कि सोना शास्त्री जी तक नहीं पहुंचा है तो उसे जनता को लौटा दिया जाए।
मामला कोर्ट में चलने के बाद 11 जनवरी 1975 में उदयपुर उदय एसीजेएम कोर्ट ने यह सोना सीजीएसटी को सौंपने के आदेश दिए। 1942 में इस सोने को उदयपुर कलेक्ट्रेट के माल खाना में शिफ्ट कर दिया। तब से अब तक इस पर केस चल रहा था। उदयपुर एसीजेएम कोर्ट के आदेश के पालन में एडीजे कोर्ट ने जीएसटीसी के पक्ष में फैसला दिया। कोर्ट ने कहा है कि यह सोना सीजीएसटी को सौंप दिया जाए।
वही गणपत लाल आंजना ने भी सोने से जुड़े सभी आरोपों के खिलाफ हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की हुई है। जिस पर फैसला आना बाकि है। सोमवार शाम को सीजीएसटी को सौंपने के लिए सोना तोला गया तो दस्तावेज के रिकॉर्ड से ज्यादा निकला। सीजीएसटी के वकील प्रवीण खंडेलवाल ने साल 1975 में एसीजेएम कोर्ट के आदेश की जानकारी दी जिसमें पूरा सोना सीजीएसटी को सौंपने के आदेश दिए गए हैं।
इस पर न्यायिक अधिकारी और अन्य अधिकारियों ने सहमति दी इसके बाद सोने पर लिखे नंबर और कोर्ट के पास मौजूद दस्तावेजों में लिखे नंबरों को मैच करवाया गया। इसमें 3 किलो 200 ग्राम सोने के एक बिस्किट पर नंबर जी 2560 लिखा हुआ था। और दस्तावेजों में एम 2560 लिखा हुआ था। नंबर अलग अलग होने पर यह सोने के बिस्किट को यहीं पर रखा गया। बाकि सोने को सीजीएसटी को सौंप दिया गया।