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कोरोना को लेकर 93 फीसदी से अधिक देशवासियों को मोदी पर भरोसा

आज जब विश्व के बहुत बड़े भाग के साथ-साथ हमारा भारतवर्ष भी कोरोना के कहर से संघर्ष कर रहा है। भारत कमजोर स्वास्थ्य सुविधाओं व सघन जन घनत्व के कारण कोरोना का शिकार बनने के लिए सहज सुलभ है। ऐसे में भारत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के परिश्रमी, अथक एवं करिश्माई नेतृत्व में कोरोना को बड़े पैमाने पर फैलने से किसी हद तक रोका हुआ है । नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्र कोरोना को रोकने के लिए निरन्तर प्रयासरत है। नरेन्द्र मोदी जी देश के कोरोना योद्धाओं के साथ-साथ नागरिकों का भी मनोबल भी बढ़ाए हुए हैं।

एक सर्वे के मुताबिक 93% से अधिक देशवासियों को भरोसा है कि मोदी सरकार कोरोना संकट से अच्छे से निपट रही है । अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मोदी सरकार के फैसलों की तारीफ हो रही है। गरीब परिवारों के लिए मोदी सरकार अगले तीन महीनों तक 20 करोड़ से अधिक महिलाओं के खाते में ₹500 जमा करने जा रही है और आठ करोड़ उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को मुफ्त गैस दे रही है। इसके साथ-साथ प्रधानमंत्री अन्न योजना के तहत 5 किलो अतिरिक्त गेहूं या चावल व 1 किलो दाल मुफ्त में दी जा रही है, जिसका लाभ लगभग 80 करोड़ लोगों को मिलने जा रहा है।

आज जब देश में लॉक डाउन है और कामकाज ठप हुए हैं तो राजस्व की कमी होना स्वभाविक है। ऐसे में मोदी सरकार और राज्य सरकार ने अनेकों कटौतियों के साथ-साथ कुछ समय के लिये कर्मचारियों व पेंशन भोगियों के महंगाई भत्ते में भी कटौती का निर्णय लिया है जिसका अधिकतम कर्मचारियों या पेंशन भोगियों ने स्वागत किया है। और गर्व के साथ कहा है कि हम कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश के साथ खड़े हैं। लेकिन ऐसे में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी जिनकी छवि शहजादा, वह भी मसखरा की है।

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उनका यह बयान कि सरकार विकास परियोजनाओं को रोक दे लकिन कर्मचारियों व पेंशन भोगियों के महंगाई भत्ते में कटौती ना करे, बहुत ही बचकाना व शरारत पूर्ण है। आज जब देश का आम नागरिक कोरोना की लड़ाई में सरकार के साथ ताकत के साथ खड़ा है तब राहुल गांधी का यह बयान भ्रम पैदा कर कोरोना से लड़ाई में देश को कमजोर करने का प्रयास प्रतीत होता है। देश में कोरोना के प्रसार में तबलीगी जमात की कारगुजारियां भी काफी हद तक जिम्मेदारी रही हैं। मुस्लिम समाज के एक बहुत बड़े वर्ग ने भी तबलीगी जमात की कारगुजारियों का विरोध किया है।

लेकिन कांग्रेस ने चुप्पी बनाए रखी । कांग्रेस सदैव मुस्लिम समाज को वोट बैंक के रूप में देखती रही है। शाहबानो प्रकरण, धारा 370 का विरोध, सीएए का विरोध, और अब तबलीगी जमात का समर्थन मुस्लिम तुष्टिकरण की पुष्टि करता है। जब सरकार ही नहीं बल्कि अनेकों स्वयंसेवी संगठन कोरोना से लड़ाई लड़ रहे हैं और भाजपा का संगठन भी राष्ट्रीय स्तर से लेकर बूथ स्तर तक पूर्ण ताकत के साथ कोरोना वायरस लड़ाई में देश के साथ खड़ा है। जिला स्तर पर कंट्रोल स्थापित कर बूथ स्तर तक मोदी किट के माध्यम से राशन, मोदी टिफिन के माध्यम से भोजन, पी.एम. केयर व सी.एम. रिलीफ फंड में योगदान किया जा रहा है। महिला मोर्चा द्वारा मास्क बनाकर जरूरतमंदों को बांटे जा रहे हैं,

शीर्ष नेतृत्व द्वारा लगातार निगरानी की जा रही है कि कहीं कोई कमी न रह जाये। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस संगठन का कहीं अता-पता नहीं है राष्ट्रीय स्तर से राज्य स्तर तक के नेता बस गालें बजाकर बयान बाजी कर बयान वीर बने हुए हैं। जिला स्तर या ब्लॉक स्तर पर कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ता जरूर ज़रूरतमंदो की अपने स्तर से मदद कर रहे है। लेकिन शीर्ष नेतृत्व गायब है। कुल मिलाकर कोरोना के इस दौर में कांग्रेस का आचरण अवसाद से ग्रस्त एक मनोरोगी की तरह हो गया है।

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इस लेख में सम्पूर्ण सिंह रावत, जिला मीडिया प्रभारी बीजेपी द्वारा अपने विचार रखे गए हैं।

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