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काले गेहूं की रोटी बनाएगी सेहत, जौलीग्रांट के इस किसान ने की बुआई

 काले गेहूं में एंथोसाईनिन और आयरन की मात्रा सामान्य गेहूं से है अधिक

डोईवाला। डोईवाला में पहली बार एक किसान ने काले गेंहूं की बुआई की है। दावा किया जा रहा है कि काले गेहूं (नाबी एमजी) में सामान्य गेहूं के मुकाबले अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं। जिस कारण इसे सेहत के लिए फायदेमंद माना जा रहा है।

जौलीग्रांट के किसान और भाजपा नेता राजकुमार पुण्डीर ने लगभग दो बिघा जमीन पर काले गेहूं की बुआई की है। उनका कहना है कि किसानों को उन्नत और सेहतमंद खेती की तरफ कदम बढाने चाहिए। इसलिए उन्होंने अपने खेत में काले गेहूं की बुआई की है। कुछ वर्ष पूर्व भी उन्होंने अपने खेत में एक बहुत बड़ी बाली वाला गेहूं बोया था। यदि उनका दावा सही साबित हुआ तो काले गेहूं की खेती आने वाले समय में मिल का पत्थर साबित हो सकती है।

काले गेहूं के बीज को पंजाब के मोहाली में स्थित नेशनल एंग्रीफूड बॉयोटेक्नॉजी इंस्टीट्यूट (नाबी) द्वारा 2017 में सात साल की रिसर्च के बाद तैयार किया गया है। यह गेहूं नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट है। और इसमें एंथोसाईनिन की मात्रा भी सामान्य गेहूं से अधिक है। इसलिए इसे स्वास्थ के लिए बेहतर माना जा रहा है।

यह गेहूं नीले व जामुनी रंग में भी मौजूद है। इस गेहूं में प्रोटीन, स्टार्च व दूसरे पोषक तत्वों की माता तो सामान्य गेहूं जैसी ही है। लेकिन इसमें एंथोसाईनिन और आयरन आदि की मात्रा सामान्य गेहूं के मुकाबले काफी अधिक है। शुरू में खेतों में इसकी फसल सामान्य गेहूं की तरह ही दिखती है। लेकिन बाली पकते समय गेहूं काले रंग का दिखना शुरू हो जाता है।

इस गेहूं से बनी रोटी भूरे रंग की होती है। फिलहाल ये गेहूं बाजार में उपलब्ध नहीं है। किसान अपने प्रयासों या ऑन लाइन आदि से इसका बीज मंगवा रहे हैं। काले गेहूं के बीज की कीमत सामान्य गेहूं के मुकाबले काफी अधिक है। सोशल मीडिया में दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि काले गेहूं से बनी रोटी कई बिमारियां भगाने में कारगर हैं। लेकिन फिलहाल इसके बारे में कोई प्रमाण मौजूद नहीं है।

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इसलिए है काला गेहूं गुणकारी

डोईवाला। सामान्य गेहूं में एंथोसाईनिन पिगमेंट की मात्रा 5 से 15 पीपीएम तक होती है। जबकि काले गेहूं में यह मात्रा 100 से 200 पीपीएम तक हो सकती है। काले गेहूं में आयरन की मात्रा सामान्य गेहूं के मुकाबले 60 फीसदी तक अधिक पाई जाती है।

जैविक और रासायनिक दोनों तरीकों से इसका उत्पादन किया जा सकता है। 90 से 100 दिनों में इसकी फसल पककर तैयार हो जाती है। काली दोमट मिट्टी इस गेहूं के लिए अधिक उपयुक्त होती है। बेहतर उत्पादन के लिए नवंबर के दूसरे सप्ताह तक इस गेहूं की बुआई कर लेनी चाहिए।

कृर्षि विभाग के पास नहीं है काले गेहूं की जानकारी

काले गेहूं की जानकारी फिलहाल कृर्षि विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। ब्लॉक के सहायक कृर्षि अधिकारी डीएम असवाल ने कहा कि उन्होंने काले गेहूं के बारे में सुना जरूर है। लेकिन उनके पास इस सबंध में कोई विभागीय जानकारी उपलब्ध नहीं है। जिस कारण वो इसके बारे में अधिक नहीं बता सकते हैं।

 

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