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कोरोना के नाम पर मुश्लिमों के साथ हो रहा भेदभाव: माइनॉरिटी बोर्ड

चर्च, मस्जिद, गुरुद्वारा, बौद्ध मंदिरों को पूरी तरह करें बंधन मुक्त

Dehradun. माइनॉरिटी बोर्ड ऑफ उत्तराखंड से जुड़े पदाधिकारियों ने कहा कि निजामुद्दीन मरकज से लौटे स्वस्थ जमातियों के ऊपर उत्तराखंड प्रशासन ने असंवैधानिक कार्रवाई की है।

माइनॉरिटी बोर्ड ऑफ उत्तराखंड मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध आदि अल्पसंख्यक अनुयायियों का प्रतिनिधित्व करता है। उनकी मांग है कि जेल भेजे गए जमातियों को रिहा कर विदेशी जमातियों को संवैधानिक दायरे में लाया जाए। डॉ कपिल खान पर यूपी सरकार द्वारा लगाए मुकदमें वापस लेकर उनको रिहा किया जाए। हेमकुंड साहब को चार धाम मार्ग की तरह खोला जाए।

कोरोना के नाम पर यूपी, एमपी, दिल्ली और राजस्थान की सरकारें मुसलमानों के साथ भेदभाव कर रही हैं। राजस्थान में एक मुस्लिम महिला को डॉक्टर ने अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया। जिस कारण जच्चा बच्चा दोनों मर गए।

वायरस विशेषज्ञों का कहना है कि मनुष्य 32 लाख वायरस के बीच में रहता है। कई वैक्सीन अभी तक नहीं बनी हैं। लेकिन लोग नहीं मरते हैं। क्योंकि लोगों में भय नहीं है। कोविड-19 से 215 देश पीड़ित हैं लेकिन भारत का रिकवरी रेट सबसे अधिक है।

इसलिए सरकार को भयमुक्त वातावरण तैयार कर चर्च, मस्जिद, गुरुद्वारा, बौद्ध मंदिरों को पूरी तरह बंधनों से मुक्त करना चाहिए। मॉस्क नहीं लगाने पर लोगों पर पुलिस भारी जुर्माना लगा रही है। जिससे कई बार विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है।

पूरे देश को लोकतांत्रिक तरीके से लॉकडाउन से मुक्त किया जाना चाहिए। एसडीएम द्वारा राष्ट्रपति को संबधित ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन में माइनॉरिटी बोर्ड अध्यक्ष ताजेंद्र सिंह, एहसान अली, हाजी अब्दूल हमीद, फुरकान अहमद, विशप रेक0 टॉमस आदि के हस्ताक्षर हैं।

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