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स्थाई राजधानी और रोजगार के मुद्दे पर गरजे राज्य आंदोलनकारी

देहरादून। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा एक ऑन लाइन बैठक का आयोजन किया गया।

जिसमें ज़ूम ऐप के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न मुद्दों जैसे कोराना महामारी, कोराना महामारी के दौर मै या उसके बाद उठने वाले रोजगार, पलायन,, रिवर्स पलायन कर वापस आए प्रवासी और उनको उत्तराखंड मै ही रोके रखने के लिए उनके लिए सरकार द्वारा किए जा रहे उनके रोजगार स्वरोजगार की व्यवस्था, गैरसैंण स्थाई राजधानी, विभिन्न स्तरों पर सरकारी व्यस्थाओं मै ताल मेल की कमी’, जैसे विषयों पर चर्चा कर इंके समाधान और सरकार को सुझाव हेतु सबके विचार आमंत्रित किए गए।

ताकि सरकार को सुझाव पत्र के माध्यम से इसे प्रेषित किया जा सके। बैठक 12 बजे से शुरू होकर लगभग डेढ़ बजे तक चली जिसमें ऋषिकेश हरिद्वार देहरादून के आसपास के क्षेत्र से जुड़े वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारियों ने प्रति भाग कर अपने विचार एवम् सुझाव व्यक्त किए। इस डिजिटल (ऑन लाईन)बैठक का संचालन आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी ने किया।

बैठक मै शुरुआती संबोधन करते हुए वरिष्ठ आंदोलनकारी ललित जोशी ने कहा कि इस समय सभी सरकारी कर्मचरियों मै कोई भी योजना का पालन करने हेतु आपसी तालमेल बहुत जरूरी है। शुरआत मै अपने प्रदेश वापस लौट रहे प्रवासियों को इस वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है । उन्होंने अपने घर लौट रहे लोगो से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करने की अपील लोगों से की क्योंकि कई जगह इनसे अच्छे बर्ताव की खबरें नहीं अा रही हैं।

ऋषिकेश से संघर्ष समिति के अध्यक्ष वेद प्रकाश शर्मा राजधानी गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करने के मांग के साथ साथ राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन समेत अन्य मुद्दे उठाए जिन पर सरकार का ध्यान नहीं है। हरिद्वार से जुड़े देवेन्द्र रावत ने आंदोलनकारियों के 10% आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए सरकार से इसके शीघ्र समाधान कर इसे पुनः लागू करने की मांग की ताकि जिनकी नियुक्तियां इस वजह से लटकी हुई हैं उनको नियुक्ति मिल सके । आंदोलनकारी कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष यशवंत रावत ने पर्वतीय छेत्र मै रोजगार स्वरोजगार को बढ़ावा देने हेतु सरकार को पहल करने हेतु मदद करने के साथ साथ खाली पड़े सरकारी पदो को भी भरने कि मांग की।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का उद्योग विभाग एवम् सरकार ने इस दिशा मै अनेकों प्रयास किए हैं पर इसमें और तेज़ी लाकर इसे धरातल पर उतारने की आवश्यकता है। मंच के प्रदेश महा सचिव राम लाल खण्डूरी ने सुझाव दिया कि सरकार को पर्वतीय इलाकों में किसानों द्वारा उगाई जा रही सब्जी दालो आदि उत्पादों को मंडियों मै बेचा जाए फिलहाल दिल्ली आदि क्षेत्रों से सब्जी ना मंगाई जाय। इससे एक तो करोना का खतरा कम होगा दूसरे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और जो प्रवासी लौट कर आए हैं वो भी इसकी खेती करने को प्रेरित होंगे और दुबारा पलायन नहीं करेंगे।

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यदि उन्हें बाज़ार मिलेगा या सरकारी मंडी समितियां उनके माल को खरीदेंगे तो । बड़ी समस्या का समाधान होगा। उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थान भी जैसे बी टेक, बीएड कॉलेज, टेक्निकल कालेज , लॉ कालेज पर्वतीय छेत्र मै खोलने की भी मांग की इससे एक तो पहाड़ से युवा उच्च शिक्षा के नाम पलायन नहीं करेगा और इनके खुलने से स्थानीय युवाओं व्यापारियों को भी रोजगार वहीं मिल जाएगा। संचालन करते हुए मंच के अध्यक्ष जगनमोहन नेगी ने सरकार को सुझाव दिया कि सरकार को हर एक ब्लॉक स्तर पर एक कम्युनिटी सेंटर खोला जाए ताकि भविष्य मै आने वाली आपदाओं मै कई लोगों को यहां रखा जा सके ।

जिससे आपदा के समय घर बह जाने या टूट जाने या korona के समय लोगों को रखने के लिए होने वाली समस्याओं का सामना ना करना पड़े । उन्होंने सीएम के स्कूलों मै आपदा विषय को पढ़ाने का आदेश देने का स्वागत किया। श्री नेगी ने कोराना आपदा काल मै राज्य आंदोलनकारियों द्वारा कोराना आपदा काल मै गरीबों और प्रवासियों की बढ़ चढ़ कर यथा संभव मदद करने हेतु सराहना की। उन्होंने कहा कि जितने भी सुझाव आए हैं वो लिखित रूप मै सरकार को आंदोलनकारी मंच के माध्यम से दिए जाएंगे जिसमें आंदोलनकारी एवम् प्रदेश हित से जुड़े सभी मुद्दे शामिल किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार का एक साथ मिल बैठ कर मीटिंग पर अभी जारी रहा तो हम फिर लगातार ऑन लाईन मीटिंगों के माध्यम से अपने बाते और सुझाव रखते रहेंगे।

बैठक मै उपरोक्त के अतिरिक्त ऋषिकेश से विक्रम भंडारी । कर्मचारी नेता और आंदोलनकारी विनोद चमोली राकेश नौटियाल नवीन कुकरेती। दीपक बर्थवाल। आदि ने भी अपने सुझाव व्यक्त किए।

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