देहरादून। दून विश्वविद्यालय में प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत की जन्म जयंती के
अवसर पर आयोजित सीमांत सुरक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा विषय पर व्याख्यान माला को संबोधित
करते हुए मुख्य अतिथि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि महान
विभूतियों की जयंती पर गंभीर चिंतन किए जाने की आवश्यकता है।
ताकि आने वाली पीढ़ियां उनसे प्रेरणा ले सकें. आज प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत की
जयंती पर विश्वविद्यालय पर उनके कार्यों के ऊपर किए जाने वाला मंथन विद्यार्थियों को
प्रेरणा देगा. उन्होंने बताया कि जनरल बिपिन रावत के साथ काम करने का मुझे अवसर मिला
और पाया कि उसमें एक विशेषता और खुलापन था। और उनके अंदर निर्णय लेने की
एक अद्भुत क्षमता थी. उन्होंने भारतीय सेना के सुधार में बहुत सारे कार्य किए। इसीलिए आज
हम अपने देश की सीमाओं की रक्षा करने में पहले की तुलना में ज्यादा सशक्त है. जनरल
बिपिन रावत ने सेना के लिए बहुत सारी समितियां बनाई थी और उन्होंने स्वदेशी
तकनीक को प्रोत्साहन दिया था। उनका जीवन देश सेवा एवं राष्ट्र रक्षा के लिए समर्पित रहा।
इस अवसर पर विश्व संवाद केंद्र के प्रमुख विजय ने कहां कि सीमाओं को सुरक्षित रखना
बहुत जरूरी है अन्यथा देश की सीमाएं सिमट के रह जाती है. उन्होंने बताया कि प्राचीन समय
में भारतवर्ष की सीमाएं समस्त हिमालय क्षेत्र से लेकर अफगानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान, और
म्यानमार तक फैली हुई थी. लेकिन वर्तमान में भारत की सीमाएं सिमट गई है. हमें अपनी
मातृभूमि की रक्षा करनी चाहिए.
इस अवसर पर मेजर जनरल (सेवा निवृत)
आनंद सिंह रावत ने कहा कि जनरल बिपिन रावत के साथ काम करने का मौका मिला।
उन्होंने कहा कि वह समस्त उत्तराखंड के युवाओं के लिए सदैव ही प्रेरणा स्रोत रहेंगे.
सीडीएस बिपिन रावत तीव्र बुद्धि के थे और वह लोगों की प्रतिभा आसानी से पहचान लेते थे।
वह विपरीत परिस्थितियों में कभी भी घबराते नहीं थे. इसी क्रम में उन्होंने सेना में सुधार के
लिए बहुत सारे कदमों को उठाया. उन्होंने इंटीग्रेटेड थियेटर कमांड बनाने पर जोर दिया।
ताकि मुसीबत के समय में सेनाओं के द्वारा तुरंत जवाब दिया जा सके. उरी, पुलवामा और
डोकलाम में जिस तरीके से सेना ने एक्शन लिया वह विपिन रावत के रिफॉर्म का ही
परिणाम था। आनंद सिंह रावत ने दून विश्वविद्यालय को जनरल बिपिन रावत की
जयंती में विभिन्न रिसर्च पेपर और वाद विवाद प्रतियोगिता कराने हेतु स्पॉन्सरशिप का प्रस्ताव
दिया। अध्यक्षीय उदबोधन में दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने कहा
कि देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत का उत्तराखंड से होना हम सभी को गौरवान्वित
महसूस करवाता है। दून विश्वविद्यालय विगत वर्ष से उनकी जयंती पर विद्यार्थियों के मध्य
कार्यक्रम आयोजित करवाता है ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके द्वारा किए गए कार्यों को
जान सके और प्रेरणा ले सके। कार्यक्रम में मेजर जनरल (सेवा निवृत)
मोहनलाल असवाल ने जनरल बिपिन रावत के साथ घटित पलों को याद करते हुए बताया कि
जनरल बिपिन रावत बहुत सहज व्यक्तित्व के धनी थे उनकी बुद्धि बहुत ही तीव्र थी और वह
जिससे एक बार मिल लेते थे उसे याद रखते थे। वह अपने सहकर्मियों और अधीनस्थ कर्मियों
को सदैव प्रेरित करते रहते थे. इस कार्यक्रम में मंच का संचालन प्रोफेसर एचसी पुरोहित के
द्वारा किया गया। इस अवसर पर दून विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर एमएस
मंदरवाल, प्रोफेसर आरपी ममगई, प्रोफेसर हर्ष पति डोभाल, प्रो कुसुम अरुणाचालम, डॉ
राजेश कुमार, डॉ रीना सिंह, डॉ चेतना पोखरियाल, डॉ एस एस सुथार, डॉ नरेंद्र रावल,
डॉ सुधांशु जोशी, डॉ सुनीत नैथानी, नरेंद्र लाल आदि उपस्थित थे।
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