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“सूर्यधार” यूं बना मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट

विधायक बनने से पहले ही बना ली थी सूर्यधार झील की रणनीति

सीएम रावत कल करेंगे सूर्यधार झील का लोकार्पण

चंद्रमोहन कोठियाल

डोईवाला। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कल डोईवाला के पहाड़ी क्षेत्र भोगपुर के अंतर्गत सूर्यधार झील का लोकार्पण करेंगे।

लगभग पचास करोड़ रूपए की लागत से इस झील को लगभग डेढ वर्ष में पूरा कर लिया गया है। इस झील को बहुउद्देशीय झील के रूप में तैयार किया गया है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि दर्जनों गांवों को पेयजल और सिंचाई का पानी इससे मिलेगा। और पर्यटन के क्षेत्र में भी मदद मिलेगी।

लेकिन आज सूर्यधार झील के बारे कुछ रोचक जानकारी आपकों जरूर जाननी चाहिए। सूर्यधार झील को मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता है। लेकिन ये झील कैसे मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट बना ये बहुत कम लोगों को पता है। दरअसल 2016 में त्रिवेंद्र सिंह रावत डोईवाला में अपनी सियासी जमीन तलाश रहे थे। उस समय वो डोईवाला में काफी सक्रिय थे।

तब कई बार वो जौलीग्रांट आए और यहां के किसानों और अपने पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं से मिले। किसान और कार्यकताओं ने उनसे कहा कि जौलीग्रांट की सिंचाई व्यवस्था नलकूपों पर आधारित होने के कारण खेतों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। जबकि अपर जौलीग्रांट के जंगल में बरसात के सीजन में बाढ आ जाती है। कुछ किसान इस बाढ के पानी के बहुत कम हिस्से को अपने प्रयासों से किसी तरह अपने खेतों तक पहुंचाते हैं। उनकी मांग थी कि जंगल में आई बाढ के इस पूरे पानी को पाइपों के जरिए उनके खेतों तक पहुंचाया जाए। इससे करीब तीन से चार महीने तक फ्री का पानी खेतों तक पहुंच जाएगा।

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तब किसान, स्थानीय भाजपाई व कुछ मीडिया के लोग उस समय त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ कई बार सूर्यधार तक गए। और यहीं से सूर्यधार झील मुख्यमंत्री रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट बना। राजकुमार पुण्डीर, उदय पुण्डीर, संपूर्ण सिंह रावत, भगीरथ ढौंडियाल, विनय कंडवाल, गंभीर रावत, राकेश डोभाल, राजेंद्र प्रसाद जोशी ये वो नाम हैं जो 2016 में कई बार सीएम रावत को लेकर सूर्यधार गए थे।

चर्चाएं तो पहले भी हुई लेकिन काम नहीं हुआ

डोईवाला। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट सूर्यधार झील के निर्माण के बारे में उनसे पहले भी कई बार चर्चाएं और मांग उठी। लेकिन धरातल पर कार्य शुरू नहीं हो सका। भानियावाला में माजरीग्रांट नहर के लोकार्पण के मौके पर 2009 में तत्कालीन सिंचाई मंत्री मातबर सिंह कंडारी के सम्मुख ये मांग रखी गई थी। उसके बाद स्व0 राजेंद्र शाह की पुण्यतिथि पर पहुंचे तत्कालीन मुख्यमंत्री डां0 रमेश पोखरियाल निशंक के सामने भी ये मांग उठाई गई थी।

हरीश रावत सरकार में भी सूर्यधार बांध पर कई बार चर्चाएं हुई। लेकिन धरातल पर कार्य मुख्यमंत्री त्रिवेद्र सिंह रावत के समय में ही तय समय पर पूरा हो पाया। हांलाकि सूर्यधार बांध को लेकर विपक्ष भाजपा पर कई तरह के आरोप भी लगाता रहा है।

इन्होंने कहा

सूर्यधार झील का कार्य बीते 8 नवंबर को पूरा कर लिया गया है। 90 क्यूसेक पानी नहर व 1.8 क्यूसेक पानी पेयजल के लिए दिया जाएगा। कुल 77 हजार घन मीटर में झील का पानी रहेगा। डीके सिंह, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग

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