देहरादून। राज्य सरकार द्वारा गन्ना किसानों के लिए भेजा गया 33 करोड़ रुपया ब्याज के
चक्कर मे गन्ना समितियों ने लटका दिया है। जिससे 10 दिन बाद भी यह पैसा किसानों के
खातों में नही पहुंचा है। चीनी मिल के अधिशासी निदेशक डीपी सिंह ने सचिव
सहकारी गन्ना विकास समिति, डोईवाला / देहरादून / ज्वालापुर / रूड़की / लक्सर / पौंटा
साहिब को लिखे पत्र में कहा है कि मिल से जारी गन्ना मूल्य भुगतान कृषकों के खाते में
नही पहुँचा है। जबकि राज्य सरकार द्वारा गन्ना मूल्य भुगतान मद में अनुदान स्वरूप मिल को
उपलब्ध करायी गई रू0 33 करोड़ की धनराशि को मिल द्वारा दिनांक 11.05.2023 को
आरटीजीएस के माध्यम से सम्बन्धित गन्ना समितियों के खाते में भेज दी गई थी। इस
धनराशि से पेराई सत्र 2022-23 के दौरान समितियों के माध्यम से कृषकों द्वारा मिल को
आपूर्ति किये गये गन्ने (दिनांक 26.01.2023 से 08.03.2023 तक) का भुगतान होना था।
लेकिन 10 दिन व्यतीत हो जाने के बाद भी गन्ना मूल्य भुगतान सम्बन्धित कृषकों के खाते
में न भेजकर अपनी गन्ना समिति के खातों में रोका हुआ है। गन्ना मूल्य भुगतान जारी न होने
के कारण कृषक परेशान हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जानबूझकर राजकीय कार्यों में बाधा
पहुँचाने व गन्ना धनराशि पर ब्याज प्राप्त करने की नियत से सरकारी धन को समिति के खातों
में रोकने का प्रयास किया गया है। जो कि समितियों की संकुचित मानसिकता को दर्शाता
है। जिस पर कार्रवाई की जाएगी।
इस बावत सचिव, गन्ना विकास एवं चीनी
उद्योग, उत्तराखण्ड शासन, देहरादून।
प्रबन्ध निदेशक, उत्तराखण्ड सहकारी चीनी
मिल्स संघ लि0, देहरादून।
आयुक्त, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग उत्तराखण्ड, काशीपुर। को भी पत्र भेजा गया है।
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