कांग्रेस और भाजपा की राजनीति में उलझा सत्तीवाला-बुल्लावाला पुल

ग्रामीणों ने फिर बनाया सुसवा नदी पर अस्थायी पुल
देहरादून। बुल्लावाला-सत्तीवाला मार्ग पर स्थित सुसवा नदी पर ग्रामीणों ने एक बार फिर से अस्थाई पुल का निर्माण किया गया है।
जिससे ग्रामीणों को डोईवाला के लिए आवाजाही करने को कम दूरी तय करनी पड़ेगी। बुल्लावाला-सत्तीवाला के हजारों लोग वर्षो से बीएसएफ इंस्ट्टीट्यूट के पास सुसवा नदी पर पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं। लेकिन ये पुल कांग्रेस और भाजपा की राजनीति में उलझकर रह गया था। लगभग पांच वर्ष पूर्व उस समय डोईवाला के विधायक हीरा सिंह बिष्ट ने यहां पर पुल निर्माण के लिए शिलान्यास किया था। लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी। जिसके बाद वर्तमान सरकार ने भी ग्रामीणों को कई बार पुल निर्माण का आश्वासन दिया। लेकिन किसी ने भी पुल निर्माण में दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिस कारण हर साल ग्रामीणों को नदी में पाइप ड़ालकर खुद श्रमदान करके अस्थाई पुल बनाना पड़ता है। जो तेज बारिश के बाद नदी में आने वाले पानी से बह जाता है।
नदी में बरसात का पानी आने की वजह से ग्रामीणों को डोईवाला जाने के लिये कुड़कवाला से होकर जाना पड़ता है। जिससे आने-जाने में लगभग आठ किलोमीटर अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस सिर्फ शिलान्यास तक ही सीमित रही। जबकि भाजपा राजनैतिक कारणों से पुल का निर्माण जानबूझकर नहीं करवाना चाहती है। इसलिए इस मामले को लगातार लटकाया जा रहा है। वोट बैंक की राजनीति के कारण भाजपा मौन है। पुल निर्माण करने वालों में समाजसेवी अब्दुल कय्यूम, हसीन अहमद, मनोज काम्बोज, जावेद हुसैन, मंगल सिंह, मेहफूज अली, मुहम्मद हनीफ़, अमजद अली, अंजार अली, शमसाद अली, मतलूब हसन, मासूम अली, गोतम लोधी, धीरज पेगवाल, अंकित, दीपक रावत, उत्तम रौथाण, मोहसिन अहमद, काशी राम, सुभाष काम्बोज, तौकीर हुसैन, जाकिर हुसैन, ताजदीन, सुभम काम्बोज आदि मौजूद रहे।
इन्होंने कहा
बुल्लावाला-सत्तीवाला और झबरावाला-खैरी में लगभग 150 मीटर लंबे पुल बनाए जाने प्रस्तावित हैं। डीपीआर और प्रथम चरण की स्वीकृति हो गई थी। लेकिन अब ये कार्य वर्ल्ड बैंक को सौंप दिया गया है।
राजेंद्र टम्टा, सहायक अभियंता लोनिवी