चमोली। सुबह से हो रही बर्फबारी से जोशीमठ नगर के सुनील, परसारी, नोंग, डांडो, अपर
बाजार सहित पैंका, रविग्राम, मनोटी, लामारी गांव में भी विछी बर्फ की सफेद चादर से ढक गई है।
मंडल – चोपता मोटर मार्ग बर्फबारी के कारण किलोमीटर 40 के बाद अवरूद्ध हो गया है।
हिम क्रीड़ा स्थली औली सहित ऊंचाई वाले इलाके भी बर्फबारी के चलते हुये सराबोर।
साल की पहली बर्फबारी होने से ऊंचाई वाले इलाकों में सेब बागवानों तथा निचले क्षेत्रों में
रवि की फसलों के लिऐ काश्तकारों के चेहरों पर खुशी लौटी है, वहीं बर्फबारी का इंतजार कर
रहे पर्यटकों की मुराद पूरी हुई है। लेकिन इस बर्फबारी से प्रशासन को जोशीमठ में भू-धंसाव
आपदा राहत कार्यों सहित राहत शिविरों में रह रहे प्रभावित परिवारों को भी दिक्कत का
सामना करना पड़ सकता है। हालांकि अभी बर्फबारी शुरू हुई है। लेकिन लगातार हिमपात
होने से प्रशासन को राहत बचाव सहित वैज्ञानिकों के दलों को जांच सहित सर्वे कार्यों
को करने में मुश्किलें जरूर पैदा हो सकती है।
अब जब कि बर्फ अभी तक बर्फ अभी तक ही
एक फीट के लगभग गिर चुकी है और जारी है तो बर्फ का पानी जमीन के भीतर सीपेज होना
निश्चित है। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का आरोप है कि समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं की
गई जिससे जोशीमठ के लोगों पर संकट बढ़ सकता है। हालांकि खतरे वाले अधिकांश घरों
को खाली करवा दिया गया है। जिससे लोगों की जान तो बची है, पर 600 से ज्यादा दरार
वाले घरों में लोग अभी भी रह रहे हैं। इन घरों की दरारें बर्फ के बाद और गहरी होगी।
तब ऐ भी खतरें में आयेंगे। आशंका जताई जा रही है कि इस बर्फबारी और बारिश से बन्द पड़े
भीतरी जल स्रोत और नाले बर्फ से रिचार्ज हो सक्रीय होंगे तो जमीन के खिसकने की रफ्तार
बढ़गी। ऐसे में आंशिक दरारों एवं धंसाव वाली जगहों, घरों पर गम्भीर खतरा हो सकता है।
इसलिऐ अधिकांश आबादी को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने की बात उठी
थी। जब पूरा नगर ही धंसाव की जद में है तो ऐसे में बर्फबारी से यह खतरा बढ़ेगा। क्यों कि
बर्फबारी की चेतावनी आगे भी है। वहीं अभी तक आपदा प्रभावित 259 परिवारों के 867
सदस्यों को सुरक्षा के दृष्टिगत राहत शिविरों में रखा गया है, जिनके भोजन, पानी , चिकित्सा
इत्यादि मूलभूत सुविधाऐं प्रभावित को उपलब्ध कराई जा रही है।
ललिता प्रसाद लखेड़ा
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