गौचर / चमोली। बरसात के रिमझिम फुहारों के साथ विश्व धरोहर फूलों की घाटी के सौंदर्य पर
चार चांद लगाने लगा है। घाटी में अभी 50 से अधिक प्रजाति के फूल आपने रंगत में दिखाई
देने लग गए है। कुछ माह पूर्व घाटी जबरदस्त बर्फ के आगोश में थी, बर्फ पिघलते ही फूलो का
संसार गुलजार होने लग गया है। घाटी में कल कल करती पुष्पवती नदी झर झर झरते झरने
ऊंचे बर्फीले पहाड़, छोटे – छोटे गधेरे का साफ़ पानी, ग्लेशियर में खिले 50 से अधिक प्रजाति
के फूल यहां आऐ देशी – विदेशों पर्यटकों को मंत्र मुग्ध कर रही है। फूलो की घाटी दुनियां की
इकलौती जगह है जहां प्राकृतिक रुप से 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते है। यहां पर
दुर्लभतम प्रजाति के वन्य जीव जंतु, पशु पक्षी, और जड़ी बूटी का संसार है।
उल्लेखनीय है कि इस फूलों की घाटी को यूनिस्को ने 2005 में विश्व प्राकृतिक धरोहर
घोषित किया था। 1882 में विश्व धरोहर नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क से 87.5 वर्ग किमी
क्षेत्रफल को अलग कर फूलो की घाटी बनाया था। यहां पर 500 फूल प्रजाती के साथ 700
वनस्पति प्रजाती भी पाई जाती है। जुलाई – अगस्त में एक साथ 300 से अधिक प्रजाति के
फूल यहां खिलते हैं। घाटी की एक विशेषता यह भी है कि घाटी हर 15 दिन में अपनी रंग
बदलती है। इस साल भारी बर्फ की वजह से फूल देर से खिले लेकिन फिर भी घाटी अपने
रंगत में आ रही है। घाटी में 15 जुलाई से लेकर अगस्त तक पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है।
घाटी में इस समय हिमालयन क्वीन, ब्लू पापी, एनिमोन पोटेटिला आर्किड सहित 50 से
अधिक प्रजाति के फूल पूरी रंगत में है। अब तक फूलों की घाटी में 1750 देशी – विदेशी
पर्यटक घाटी का दीदार कर चुके हैं, जिसमें से 17 विदेशी पर्यटक शामिल रहे हैं।
ललिता प्रसाद लखेड़ा
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