देहरादून में 121 फीट रावण, अल्मोड़ा में सांस्कृतिक रंग

देहरादून/अल्मोड़ा: अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक पर्व विजयदशमी यानी दशहरा पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास से मनाया जा रहा है। उत्तराखंड में भी इस पावन पर्व की धूम देखने को मिल रही है। देहरादून से लेकर अल्मोड़ा तक दशहरा महोत्सव की भव्य तैयारियाँ हो चुकी हैं।
देहरादून: परेड ग्राउंड में जलेगा 121 फीट ऊंचा रावण
देहरादून के ऐतिहासिक परेड ग्राउंड में बन्नू बिरादरी दशहरा कमेटी की ओर से इस वर्ष 78वां दशहरा पर्व भव्य रूप से मनाया जा रहा है। आयोजन की सबसे बड़ी खासियत इस बार का 121 फीट ऊंचा रावण है, जिसके साथ 70 फीट ऊंचा कुंभकर्ण और 75 फीट ऊंचा मेघनाद का पुतला भी तैयार किया गया है। रावण दहन का कार्यक्रम 2 अक्टूबर को संपन्न होगा।
सुरक्षा और ट्रैफिक के लिए पुख्ता इंतजाम
परेड ग्राउंड में वीवीआईपी और वीआईपी के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। वहीं, सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस बल तैनात किया गया है। शोभायात्रा से यातायात बाधित न हो, इसके लिए ट्रैफिक को सुव्यवस्थित करने की योजना बनाई गई है। वालंटियर्स पुलिस के साथ मिलकर ट्रैफिक प्रबंधन में सहयोग करेंगे।
मुख्यमंत्री धामी का संदेश
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विजयदशमी पर शुभकामनाएं देते हुए कहा:
“यह पर्व हम सभी को अपने भीतर की बुराइयों को त्याग कर जीवन में सदाचार की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। हमें अहंकार से मुक्त होकर सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए और श्रीराम की शिक्षाओं को अपनाकर जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।”
अल्मोड़ा: सांस्कृतिक नगरी में दशहरे की अलग ही छटा
अल्मोड़ा में दशहरा महोत्सव की रौनक देखते ही बनती है। यहाँ की रामलीला और विशालकाय रावण परिवार के पुतले देशभर के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। अल्मोड़ा की रामलीला की परंपरा 1860 से चली आ रही है, जबकि 1865 से रावण के पुतले बनाए जाने लगे थे।
इस वर्ष भी नगर के विभिन्न मोहल्लों में रावण, मेघनाद, कुंभकर्ण, और अन्य पुतलों का निर्माण जोरशोर से हुआ है। कारखाना बाजार में बना रावण के पुत्र अक्षय कुमार का पुतला विशेष आकर्षण का केंद्र बना है, जिसे स्थानीय कलाकार हिमांशु गुप्ता ने वेस्ट मैटेरियल से तैयार किया है।
बच्चों का भी जोश, पॉकेट मनी से बनाया दूषण का पुतला
अल्मोड़ा के थाना बाजार क्षेत्र के एक बालक लक्की भट्ट ने अपनी पॉकेट मनी से छोटा ‘दूषण’ का पुतला तैयार किया है। वह कई वर्षों से बड़ों को पुतले बनाते देखता था और सहयोग करता था। इस बार उसने खुद यह पुतला बनाया, जिसे दशहरा महोत्सव में प्रदर्शित कर दहन किया जाएगा।
दशहरा: सिर्फ उत्सव नहीं, सामाजिक सौहार्द का प्रतीक
अल्मोड़ा में दशहरा महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हिंदू–मुस्लिम सौहार्द का प्रतीक भी बन चुका है। दोनों समुदाय मिलकर इस पर्व में हिस्सा लेते हैं, जिससे गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल कायम होती है।