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पुल के 86 पिलर में से 7 पिलर तेज बहाव में बहे
देहरादून। प्रदेश की राजधानी देहरादून को गढवाल क्षेत्र से जोड़ने वाला रानीपोखरी पुल जाखन नदी में आई तेज बाढ के कारण बह गया।
जाखन नदी पर बने इस पुल के दोनों तरफ नदी में भारी मात्रा में खनन कार्य किया गया था। जिस कारण पुल की जड़ें खोखली हो चुकी थी। बृहस्पतिवार रात हुई तेज बारिश के कारण सालों बाद जाखन नदी में काफी पानी आया। जिस इस पुल का एक बड़ा हिस्सा पानी में बह गया। वहीं पानी का तेज बहाव अभी भी जारी है। जिस कारण पुल के बाकि हिस्से पर भी खतरा मंडरा रहा है।
पुल में जा रहे दो चौपहिया वाहन और एक मोटरसाईकिल भी नीचे गिर गई। जिस कारण वाहन चालकों सहित तीन लोगों को चोटें आई हैं। जिन्हे अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। गनीमत रही कि कोई भारी वाहन उस वक्त वहां से नहीं गुजर रहा था। जिससे जान-माल की हानि बच गई।
सूचना पाकर पुलिस ने पुल के दोनों हिस्सों को आवाजाही के लिए पूरी तरह बंद कर दिया है। लोनिवी के आला अधिकारी और एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंची। मौके पर पहुंचे जिलाधिकारी देहरादून डां0 आर राजेश ने कहा कि नदी किनारे बसे लोगों को वहां से हटा दिया गया है। पुल के बहने के कारणों की जांच की जा रही है। पुल बहने से नीचे गिरे दो-तीन वाहन चालक घायल हुए हैं।
जिन्हे अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। वहीं स्थिति का जायजा लेते हुए पूर्व काबीना मंत्री हीरा सिंह बिष्ट ने कहा कि पुल की हालत बहुत दयनीय थी। शासन व प्रशासन को पुल बहने से पहले ही नया पुल तैयार कर लेना चाहिए था। मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष शमशेर पुण्डीर, संपूर्ण सिंह रावत, कांग्रेस नगर अध्यक्ष राजबीर खत्री, राजेश भट्ट, सागर मनवाल सहित सैकड़ों लोग मौके पर मौजूद रहे।
सन 1964 में बना था रानीपोखरी में पुल
डोईवाला। रानीपोखरी में जाखन नदी पर 1964 में पुल का निर्माण किया गया था। इस पुल को 86 पिलर पर खड़ा किया गया है। जिसमें से खबर लिखे जाने तक रानीपोखरी की तरफ के चार पिलर और एयरपोर्ट की तरफ से तीन पिलर पानी के तेज बहाव की चपेट में आकर बह चुके थे। और बाकि बचे हुए पिलर के भी बहने की संभावनाएं काफी बढ गई हैं।
रानीपोखरी पुल बहने की मुख्य वजह ये हैं
डोईवाला। सबसे बड़ी वजह ये है कि ये पुल 57 साल पुराना है। ये पुल पुराना होने के कारण सड़-गल गया है। दर्जनों बार इस पुल की रैलिंग और पिलरों में कंक्रीट भरकर मरम्मत की जा चुकी है। दूसरा कारण खनन है। खनन कार्य से पुल की जड़ें खोखली हो चुकी थी। जिस कारण पुल जाखन में आई बाढ की भेट चढ गया। तीसरा कारण इस पुल के पिलरों को नदी में गहरे तक नहीं पहुंचाया गया है। पुल के सभी पिलर नदी में ऊपर ही छोटे-छोटे चबूतरे बनाकर खड़े किए गए हैं। जो हल्का सा पानी आने भी खोखले हो जाते थे। जिस कारण इनकी मरम्मत करनी पड़ती थी।
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष गौरव सिंह ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय 1964 में रानीपोखरी पुल का निर्माण करवाया गया था। लेकिन वर्तमान सरकार में पुल की सही देख रेख नहीं की गई। अवैध खनन के कारण पुल की जड़ें खोखली हो गई थी। जिस कारण पुल बह गया।
वहीं भाजपा के जिलाध्यक्ष शमशेर पुण्डीर ने कहा कि पुल के काफी पुराना होने और यातायात का दबाव कई गुना बढने के कारण पुल कमजोर हो गया था। जिस कारण पुल बह गया। कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में रानीपोखरी में नया पुल स्वीकृत किया गया है। जिसे जल्द ही बनाया जाएगा।
इन्होंने कहा
लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता राकेश कैलखुरा ने कहा कि पुल के 86 स्पान में से 7 बह चुके हैं। जिसकी प्रमुख वजह पुल के दोनों तरफ किया गया खनन कार्य है। जिस कारण पुल की जड़ें कमजोर हो गई। और पुल जाखन के बहाव में बह गया। जबकि रानीपोखरी में वर्तमान पुल से से नीचे की तरफ एनएच द्वारा एक नया पुल बनाया जाना प्रस्तावित है। जिसकी डीपीआर आदि बन चुकी है।