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धर्म परिवर्तन की संभावनाएं, कबरिस्तान में दफन हो सकते हैं कई राज, ये है पूरा मामला

कबरिस्तान में दफन हो सकते हैं कई राज

शिक्षा और स्वास्थ विभाग बनें हुए हैं लापरवाह

देहरादून। चिल्ड्रस होम एकेडमी भोगपुर, ऋषिकेश में बच्चों के धर्म परिवर्तन करवाए जाने की भी पूरी संभावनाएं नजर आ रही हैं।

यहां संदिग्ध हालत में बच्चों की मौत का सिलसिला धमने का नाम नहीं ले रहा है। और वर्तमान में भी गई बच्चे गंभीर रूप से बीमार पाए गए हैं। जिन्हे बाल संरक्षण आयोग के निर्देश पर एम्स में भर्ती करवाया गया है। चिल्ड्रस होम एकेडमी भोगपुर भारत सरकार के पोषण अभियान की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है। ये बात जांच में साफ हो चुकी है कि हॉस्टल में रह रहे 400 छात्र-छात्राओं को पोष्टिक खाना नहीं दिया जा रहा है। जिस कारण बच्चे बीमार हैं। और मरणासन्न स्थिति में पहुंच चुके हैं। सरकार के स्वच्छता अभियान को भी चिल्ड्रस होम ठेगा दिखा रहा है। शौचालयों में भारी गंदगी और दून तक फैली बदबू है। बड़ी-बड़ी घास और कबरिस्तान में कच्ची कब्रों में शवों का कोई ब्योरा दर्ज नहीं है।

यदि बाल संरक्षण आयोग की टीम मौके पर जाकर जांच नहीं करती तो यहां हुए बीते 10 मार्च को सातवीं के छात्र वासु यादव हत्याकांड और 20 सितंबर को संदिग्ध परिस्थतियों में हुई आठवीं के छात्र अभिषेक की मौत के बारे में बाहर किसी को भी पता नहीं चल पाता। चिल्ड्रन्स होम में धर्म परिवर्तन की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। क्योकि वायु यादव (12) को कबरिस्तान में दफनाया गया था। जबकि नियमानुसार 18 वर्ष पूरा होने पर ही कोई भी स्वेच्छा से किसी भी धर्म को अपना सकता है। फिर किस आधार पर वासु को दफनाया गया था। बीते 20 सितंबर को जौलीग्रांट के आईसीयू में छात्र अभिषेक की मौत हो गई थी। लेकिन उसका अंतिम संस्कार कैसे और कहां किया गया इस राज पर अभी तक पर्दा पड़ा हुआ है।

शिक्षा और स्वास्थ विभाग की घोर लापरवाही

देहरादून। चिल्ड्रन्स होम मामले में शिक्षा और स्वास्थ विभाग की भारी लापरवाही सामने आई है। इतने बड़े मामले होने के बावजूद दोनों विभागों के अधिकारियों ने मौके पर जाने की जरूरत नहीं समझी। जबकि चिल्ड्रन्स होम को शिक्षा विभाग ने ही एनओसी दी होगी। बड़ी संख्या में बच्चों के स्वास्थ खराब होने, स्वच्छता की कमी और बच्चों को पोष्टिक भोजन न मिलने पर इन दोनों विभागों को बराबर चिल्ड्रन्स होम पर नजर रखनी चाहिए। लेकिन ये दोनों विभाग फिलहाल भारत और राज्य दोनों सरकार को ठेंगा दिखा रहे हैं।

इन्होंने कहा

चिल्ड्रन्स होम में धर्म परिवर्तन की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। बच्चे बहुत बुरी स्थिति में हॉस्टल में रह रहे हैं। शिक्षा और स्वास्थ दोनों विभाग इस मामले में लापरवाह बने हुए हैं। कमल गुप्ता, निजी सचिव बाल संरक्षण आयोग।

शिक्षा विभाग का पक्ष जानने को जिला शिक्षा अधिकारी आरएस रावत को फोन किया गया तो उन्होंने गेंद मुख्य शिक्षा अधिकारी के पाले में सरका दी। उधर मुख्य शिक्षा अधिकारी आशा पैंन्यूली को दो बार फोन किया गया लेकिन उन्होंने फोन काट दिया। और कॉल बैक नहीं किया। लेकिन खबर लिखे जाने और पोर्टल में खबर प्रकाशित होने के बाद उनका फोन आया और उन्होंने कहा कि इस संबध में खंड शिक्षा अधिकारी को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। वो जल्द ही इस मामले की जांच करेंगे। कहा कि ये मामला सीधे स्वास्थ विभाग से जुड़ा है। इसलिए संबधित अधिकारियों को इस बारे में कार्रवाई करनी चाहिए।

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