सूखे से धान की फसल पर संकट, तीन प्रमुख नदियों के हलक सूखे

पिछले वर्षो की तुलना में अब तक हुई आधे से भी कम बरसात
डोईवाला। पर्यावरण और खेती-किसानी के लिहाज से जुलाई माह की बारिश ने अब तक निराश किया है।
बारिश की कमी का सबसे बड़ा असर धान की बुआई करने वाले किसानों पर पड़ा है। जिन किसानों ने धान की रौपाई कर ली है। उन किसानों के खेतों सूखे से फट चुके हैं। खेतों में तीड़ पड़ गई है। वहीं जो किसान धान की रौपाई करने जा रहे थे।
उन्होंने बारिश की कमी से धान की रौपाई करने का फैसला बदल लिया है। बरसात के सीजन में भी सिंचाई और पेयजल नलकूप हांपते हुए चल रहे हैं। भूजल रिचार्ज न होने से नलकूप आधे से भी कम पानी उगल रहे हैं। मई-जून की बारिश ने जंगलों और पर्यावरण को काफी लाभ पहुंचाया था।
लेकिन अब जुलाई में मौसम का चक्र जैसे गड़बड़ा गया है। 16 जुलाई को हरेला पर्व मनाया जाएगा। लेकिन बिना बारिश रौपे गए पौधों का जीवित रहना संभव नहीं है। किसी भी क्षेत्र में बारिश का पैमाना वहां की नदियों को माना जाता है।
बरसात के सीजन में उफनते हुए बहने वाली डोईवाला की तीन प्रमुख नदियों सौंग, सुसवा और जाखन के हलक अब तक सूखे हुए हैं। पर्यावरणविद् भी इस बदलते हुए मौसम से हैरान हैं। बढता प्रदूषण, कंक्रीट के जंगल और जंगलों के अंदर लगातार कम हो रहे पेड़ों को इसका कारण माना जा रहा है।
इससे लगातार तापमान में भी वृद्धि दर्ज की जा रही है। एयरपोर्ट मौसम विभाग ने 13 जुलाई तक कुल 72.2 एमएम बारिश दर्ज की है। जबकि पिछले वर्ष जुलाई में 13 जुलाई तक 285 एमएम तक वर्षा दर्ज हुई थी। और पिछले वर्षो में भी जुलाई की बारिश का आंकड़ा अच्छा रहा है।
डोईवाला ब्लॉक के सहायक कृर्षि अधिकारी डीएस असवाल ने कहा कि डोईवाला में चार से पांच हैक्टयर तक धान की रौपाई की जाती है। लेकिन इस बार कम बारिश से धान की रौपाई प्रभावित हुई है। वैसे आने वाले कुछ दिनों में यदि अच्छी बारिश हो जाती है तो किसान धान की बुआई कर सकते हैं।