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देहरादून। देहरादून-हरिद्वार मार्ग पर लालतप्पड़ इंण्डस्ट्रियल एरिया में स्थित एक लीसा फैक्ट्री में आग लगने से हड़कंप मच गया।
सूचना पर मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड को आग पर काबू पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। आग इतनी भीषण थी कि कई किलोमीटर दूर से ही काला धुंआ आसमान में साफ दिखाई दे रहा था। ऋषिकेश से दो दमकल वाहन और देहरादून से तीन दमकल वाहनों के आग बूझाने के कार्य में लगाया गया। लेकिन आग की लपटें कम होने का नाम नहीं ले रही थी।
लालतप्पड़ में खुराना ब्रदर्स की लीसा फैक्ट्री है। जिसमें लीसा से तारपिन का तेल और अन्य पदार्थ बनाए जाते हैं। लीसा एक ज्वलनशील पदार्थ होता है। जिसमें आग लग जाए तो उसे बुझाना काफी मुश्लिक कार्य होता है।
फायर ब्रिगेड इंचार्ज डीपी डंगवाल ने कहा कि लीसा की फैक्ट्री में लगी भीषण आग को बुझाने में पांच दमकम गाड़ियों को लगाया गया। इसके बावजूद आग को काबू करने में काफी समय लग गया। कहा कि लीसा फैक्ट्री में लीसा से तारपिन का तेल और अन्य चीजें बनाई जाती है। तारपिन के तेज को पेंट आदि में मिलाया जाता है। फिलहाल आग लगने के कारणों का पता नहीं लग गया है।
बता दें कि लालतप्पड़ स्थित फैक्ट्रियों में इससे पहले भी कई आग की घटनाएं हो चुकी हैं। लालतप्पड़ चौकी प्रभारी संजय रावत ने कहा कि फैक्ट्री के ब्यायलर के अधिक गर्म होने की वजह से आग लगने की संभावनाएं जताई गई हैं। और आग पर काबू पा लिया गया है।
क्या होता है लीसा
डोईवाला। लीसा चीड़ के पेड़ से निकाला जाने वाला एक पदार्थ है। जिससे तारपिन के तेल के अलावा कई दूसरे चीजें भी बनाई जाती हैं। लीसा निकालने के लिए चीड़ के पेड़ के तने को हल्का सा छीलकर उसमें गिरमिट अथवा बरमा की मदद से तीन से चार इंच गहराई के छिद्र किए जाते हैं। इन्हें 45 डिग्री के कोण पर तिरछा बनाया जाता है। जिससे लीसा बाहर आ आता है।