
चरण पादुकाएं लेकर वापस अयोध्या लौटे भरत
देहरादून। जौलीग्रांट में आयोजित रामलीला के पांचवें दिन कलाकारों ने दशरथ मरण का मंचन किया।
भगवान राम चौदह वर्ष के लिए वन चले जाते है। राजा दशरथ बीमार हो जाते हैं। पुत्र वियोग में राजा के प्राण निकल जाते हैं। दशरथ की मौत से अयोध्या नगरी में शोक की लहर दौड़ जाती है। वहीं जब भगवान राम को पिता की मौत का पता चलाता है तो वह भी शोकाकुल हो जाते हैं। दशरथ मरण मंचन को देखकर श्रद्धालुओं की आंखे नम हो गईं। कलाकारों द्वारा केवट संवाद का मंचन किया गया। भगवान राम केवट से सीता व लक्ष्मण सहित नाव से नदी पार कराने को कहते हैं। केवट इस दौरान अपने आंखों से निकले आंसुओं से भगवान के पैर साफ कर नदी पार कराते है।
भरत जी व्याकुल होकर माता कैकई से नाराज होकर राम जी से मिलने वन में चले जाने और राम जी के समझाने पर उनकी चरण पादुकाएं लेकर वापस अयोध्या लौटने का दृश्य पात्रों द्वारा बड़े ही सुंदर ढ़ंग से प्रस्तुत किया गया। पांचवे दिन की लीला का शुभारंभ तेजपाल और उनके पुत्र सिद्धांत द्वारा किया गया। आज की लीला में अध्यक्ष जोगेन्दर पाल व मंत्री हरीशचंद ने मुख्य अतिथियों का माल्यार्पण कर सम्मान किया। मोके पर निर्देशक सुरेश चंद, राजेश कुमार, अशोक धीमान अमित जोशी व अरुण शर्मा उपस्थित रहे।