शातिर वाहन चोर गिरोह के चार सदस्य गिरफ्तार 10 दोपहिया वाहन बरामद
देहरादून। कोतवाली पुलिस ने मोटर साईकिल चोर गिरोह का पर्दाफाश करते हुए चार आरोपियों सहित कुल 10 मोटरसाईकिलों को बरामद करने में सफलता पाई है।
बीते 13 अगस्त को सचिन पुत्र मेघपाल निवासी रेशम माजरी द्वारा खुद की मोटर साइकिल हीरो स्पेंडर प्लस यूके07बीएन 4556 की रिपोर्ट दर्ज करवाते हुए कहा था कि सतनाम ढाबे भनियावाला के सामने खड़ी उनकी बाइक को किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा चोरी कर लिया गया है। जिस पर मुकदमा अपराध संख्या 196/2021 धारा 379 भादवि पंजीकृत किया गया था।
डोईवाला कोतवाल राजेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में थाना स्तर पर अलग-अलग टीम गठित की गई। करीब 35 सीसीटीवी फुटेज संकलित कर पूर्व में वाहन चोरी में जेल गए कई पुराने वाहन चोरों से पूछताछ की गई।
और फिर 15 अगस्त को मुखबिर द्वारा पुलिस टीम को सूचना मिली कि मुरादाबाद का एक वाहन चोर गिरोह देहरादून, हरिद्वार में सक्रिय है। और कई वाहन चोरियों को अंजाम दे चुका है। जिसके तीन सदस्य दो मोटर साईकिलों से जौलीग्रांट से मुख्य हाइवे की तरफ आने वाले हैं।
जिन्हे पुलिस ने मुख्य हाईवे निकट जीवनवाला से धर-दबोचा। आरोपियों से मु0अ0स0 196/2021 से संबंधित मोटरसाइकिल बरामद की गई। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि एक मो0सा0 भानियावाला के पास ढाबा से तथा दूसरी बिजनौर से चोरी की गई है।
और उनका चौथा साथी नकुल लालतप्पड खंडहरनुमा फैक्ट्री मे पहले से चोरी की गई मोटर साईकिलों के साथ निगरानी हेतु छोडा है। जिसे बिरला यामहा खंडहरनुमा फैक्ट्री के अन्दर से गिरफ्तार किया कर खंडहर से आठ मोटरसाइकिले बरामद की गई।
चारों आरोपियों के नाम विपिन कुमार पुत्र चंद्र कैलाश निवासी मोहम्मदपुर कैसो थाना ठाकुरद्वारा, वासुदेव पुत्र मुनेश ग्राम मुनीमपुर थाना ठाकुरद्वारा दोनों जिला मुरादाबाद, दीपक पुत्र धन सिंह निवासी निकुंज बिहार थाना ज्वालापुर, हरिद्वार, नकुल पुत्र राजेंद्र सिंह निवासी पिपली घनश्याम थाना ठाकुरद्वारा जनपद मुरादाबाद बताए गए हैं।
ऐसे करते थे मोटरसाईकिल चोरी
डोईवाला। पूछताछ मे चोरों आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वो रात को घर/दुकान के बाहर लावारिश हालत में खड़े मोटरसाइकिल जिन पर चाबी नहीं लगी होती थी और जिनका लॉक आसानी से खुल जाता था। उन बाइकों को वो को चुरा लेते थे।
फिर वो चोरी किए गए वाहनों को किसी सुनसान स्थान में छुपा लेते थे। और बाइकों या उसके पार्टस निकालकर बेच देते थे। यदि चुराई हुई गाडी के अन्दर कागजात मिल जाते थे तो वह आसानी से अच्छे दामों पर बिक जाती थी।