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एनएसएस स्थापना दिवस पर विशेष: समाज सेवा के पचास वर्ष

प्रो.के.एल.तलवाड़ की खास रिपोर्ट।।।

देहरादून। स्वतंत्रता प्राप्ति के प्रारंभ से ही छात्रों को राष्ट्रीय सेवा के प्रति जागरूक करने का प्रयत्न होता रहा है।

सन् 1950 में प्रथम शिक्षा आयोग ने विद्यार्थियों को राष्ट्रीय सेवा के लिए भावना के आधार पर प्रवेश के लिए संस्तुति की। इसके साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री पं0 जवाहर लाल नेहरु के सुझाव पर डा. सी.डी.देशमुख की अध्यक्षता में एक आयोग बनाया गया, जिसका उद्देश्य छात्रों को स्नातक कक्षाओं में प्रवेश से पूर्व राष्ट्रीय सेवा अनिवार्य रूप से करनी थी। प्रो. के.जी. सैउद्दीन जो विभिन्न देशों में युवाओं की राष्ट्रीय सेवा का अध्ययन कर चुके थे,का कहना था कि राष्ट्रीय सेवा स्वयं सेवकों के आधार पर प्रारंभ की जानी चाहिए। इसी प्रकार का सुझाव शिक्षा आयोग के अध्यक्ष डा.डी.एस.कोठारी ने भी दिया था। अप्रैल 1969 में विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक में कहा गया कि छात्र एन.एस.एस. में(जो कि प्रारंभ से ही थी) अथवा एक नवीन कार्यक्रम जो कि ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ के नाम से बनाया गया था, में भाग ले सकते हैं।

सितंबर 1969 में कुलपतियों के एक सम्मेलन में प्रस्ताव का स्वागत किया गया एवं सुझाव दिया गया कि उपकुलपतियों की एक विशेष समिति बनाई जाए जो इसके बारे में विस्तार से विचार कर सके। इसके परिणाम स्वरूप योजना आयोग द्वारा पांच करोड़ रूपये चतुर्थ पंचवर्षीय योजना(1969-74) में राष्ट्रीय सेवा योजना को अनुदान दिया गया, जिससे चयनित विद्यालयों एवं अन्य शिक्षा संस्थानों में प्रयोग के आधार पर इसे प्रारंभ किया गया। इसके पश्चात् सत्र 1969-70 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा समस्त स्नातक कक्षाओं में राष्ट्रीय सेवा योजना को प्रारंभ किया गया। यह संयोग ही रहा कि यह वर्ष प्रसिद्ध समाजसेवी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म शताब्दी वर्ष भी था,जिसमें इस योजना की शुरुआत देश के 37 विश्वविद्यालयों में मात्र 40,000 से हुई।

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यह संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती रही एवं वर्तमान में 32.5 लाख से अधिक पहुंच गई है। इस योजना का विस्तार अब देश के सभी राज्यों के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, माध्यमिक परिषदों व प्राविधिक संस्थाओं में हो गया है।उतराखंड में लगभग 60,000 स्वयंसेवी इस योजना के अंतर्गत पंजीकृत हैं। सिद्धांत वाक्य -” मैं नहीं परंतु आप ” (Not me but you) उद्देश्य – “समाज सेवा के माध्यम से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का विकास” प्रतीक चिन्ह – बैज पर उत्कीर्ण प्रतीक चिन्ह में आठ तीलियाँ हैं,

जो आठों प्रहर अर्थात् 24 घंटों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसलिए जो इस बैज को धारण करता है,उसे यह बैज याद दिलाता है कि वह राष्ट्र की सेवा के लिए दिन-रात अर्थात 24 घंटे तत्पर रहे।बैज का लाल रंग उत्साह और गहरा नीला रंग ब्रह्मांड का संकेत है। 

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