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“स्पर्श गंगा दिवस” पर डॉ तलवाड़ की विशेष प्रस्तुति

Dr. KL Talwad

देहरादून। गंगा और सहायक नदियों की स्वच्छता, निर्मलता और अविरलता को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए 17 दिसम्बर 2009 को उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल ‘निशंक’  की सकारात्मक सोच से ‘स्पर्श गंगा अभियान’ का अभ्युदय हुआ।

ऋषिकेश की मुनि की रेती से इस दिन राष्ट्रीय सेवा योजना के हजारों स्वयंसेवी छात्र-छात्राओं की सहभागिता से गंगा समेत गढ़वाल की सहायक नदियों व जलधाराओं को भी स्वच्छ व प्रदूषणमुक्त बनाने का संकल्प लिया गया। 17 दिसम्बर 2009 को शुरू हुए इस अभियान की पहचान अब अंतरराष्ट्रीय स्तर तक हो चुकी है और प्रत्येक वर्ष इस दिन को पर्यावरणप्रेमी ‘स्पर्श गंगा दिवस’ के रूप में मनाते हैं।

नदियां ही धरती की प्राण शिरायें हैं।गंगा समेत समस्त जलधाराओं का संरक्षण आज की ही नहीं अपितु भविष्य की भी जरूरत है।गंगा का संरक्षण हम सबका सामूहिक दायित्व है। इसी सोच को लेकर डा.निशंक जी ने इस अभियान की कल्पना की और सोच को साकार किया।’स्पर्श गंगा अभियान’ के तहत ही गंगा और सहायक नदियों से टनों कूड़ा-करकट निकालकर विद्यार्थियों ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साबित किया।

कांवड़ियों को भी गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए प्रेरित किया। ‘स्पर्श गंगा अभियान’ गत वर्ष अपनी शुरुआत के दस वर्ष पूर्ण कर चुका है। इस एक दशक से अधिक समयावधि में अपने उद्देश्य कि ‘जल की प्रत्येक बूंद को स्वच्छ रखना हम सबका परम कर्तव्य है’ में यह अभियान सफल रहा है।

जनपद उत्तरकाशी के राष्ट्रीय सेवा योजना के पूर्व जिला समन्वयक डा.के.एल.तलवाड़ जो वर्तमान में चकराता महाविद्यालय के प्राचार्य हैं,इस अभियान से जुड़े होने पर अपने को सौभाग्यशाली मानते हैं। आज हजारों छात्र-छात्राएं,अभिभावक,अध्यापक,स्थानीय निकाय,सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं इस अभियान का हिस्सा बन चुकी हैं।इतना ही नहीं साधु संतों सहित देश के प्रमुख लोगों ने इस अभियान की सराहना करते हुए इससे जुड़ गये हैं।

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