उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की अहम बैठक, जानिए सभी फैसले विस्तार से..

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट की अहम बैठक हुई। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गये। जानिए सभी फैसले विस्तार से..

1- उत्तराखंड वित्तीय नियम समिति की संस्तुतियों के अनुसार विभिन्न संवर्ग के कार्मिकों को वाहन भत्ता अनुमन्य किये जाने के संबंध में।
राज्य सरकार के सरकारी सेवकों को जिन्हें अपने पदेन कर्तव्यों से सम्बन्धित कार्यों को करने के लिए बहुधा अल्प दूरी की यात्राएँ करनी पड़ती हैं एवं जिसके लिए यात्रा भत्ता अनुमन्य नहीं है तथा जिन्हें वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-3 के नियम-82 के अधीन परिशिष्ट-8 में उल्लिखित सूची एवं समय-समय पर शासन द्वारा निर्गत आदेशों के अन्तर्गत वाहन भत्ता अनुमन्य कराया जा रहा है, को वित्तीय नियम समिति की संस्तुतियों के अनुसार मासिक रूप से प्राप्त वाहन भत्ता तालिकानुसार दिनांक 01 जनवरी, 2024 से अनुमन्य किये जाने हेतु प्रस्तुत प्रस्ताव पर विचलन के माध्यम से प्राप्त मा० मंत्रिमण्डल के अनुमोदन के क्रम में शासनादेश संख्या-174877/XXVII(7)/E- 42461/2022 दिनांक 13 दिसम्बर, 2023 निर्गत (संलग्न) किये जाने के पश्चात कृत कार्यवाही से मा० मंत्रिमण्डल को अवगत कराये जाने हेतु प्रस्ताव मा० मंत्रिमण्डल के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

2- वैयक्तिक सहायक संवर्ग में पदोन्नति के सोपान बढ़ाते हुए स्टाफिंग पैटर्न के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रू0 4800/- में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी का पद सृजित किये जाने के संबंध में।

वैयक्तिक सहायक संवर्ग में ग्रेड वेतन रू0 4800/- में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी पदनाम से नया पद सृजित किये जाने एवं वैयक्तिक सहायक संवर्ग में तालिका के स्तम्भ-6 के अनुसार संशोधित स्टाफिंग पैटर्न लागू किये जाने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है।

3- उत्तराखण्ड पशु चिकित्सा सेवा (संशोधन) नियमावली, 2024 के संबंध में।
उत्तराखण्ड पशु चिकित्सा सेवा हेतु वर्तमान में उत्तराखण्ड पशु चिकित्सा सेवा नियमावली. 2021 प्रख्यापित है। उक्त नियमावली में पशुचिकित्साधिकारियों हेतु पशु चिकित्सा अधिकारी ग्रेड-2 व पशु चिकित्सा अधिकारी ग्रेड-1 पदनाम उल्लिखित है।) (राजकीय पशुचिकित्सालयों/रोग अनुसंधान प्रयोगशालाओं/राजकीय पशुधन प्रक्षेत्रों / निदेशालय / अपर निदेशक कार्यालयों/ बोर्डो /विभिन्न कार्यालयों में सेवारत पशुचिकित्सा अधिकारियों हेतु पशु चिकित्सा अधिकारी ग्रेड-1 एवं पशु चिकित्सा अधिकारी ग्रेड-2 पदनाम सृजित किये गये है) पशुचिकित्साविदों हेतु सृजित वर्तमान पदनाम, राजकीय पशुचिकित्सालयों के अतिरिक्त अन्य कार्यालयों में पदस्थापित पशुचिकित्साविदों के कार्य प्रकृति से मेल नहीं खाते हैं। अतः उक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों के दृष्टिगत विभागीय आवश्यकतानुरूप पशु चिकित्सा संवर्ग में पशु चिकित्सा अधिकारी ग्रेड-2 एवं पशु चिकित्सा अधिकारी ग्रेड-1 का वेतनमान यथावत् रखते हुए केवल पदनाम परिवर्तन तालिकानुसार किया जाना है ।

4- विभिन्न विभागों में कार्यरत सहायक अभियन्ताओं को मोटरकार के लिए वाहन भत्ता अनुमन्य किये जाने के सम्बन्ध में।
राज्य में वाहन भत्ता दिये जाने के सम्बन्ध में लागू संगत शासनादेशों तथा वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-3 के नियम-82 के अधीन राजकीय विभागों में कार्यरत सहायक अभियन्ताओं को मोटर कार (जहां औसत स्थानीय यात्रा 400 किलोमीटर प्रतिमाह से अधिक होती है) के लिए वाहन भत्ता अनुमन्य किये जाने के प्रस्ताव पर विचलन के माध्यम से प्राप्त मा० मंत्रिमण्डल के अनुमोदन के क्रम में शासनादेश संख्या-174509/XXVII(7)/E-65724/2023 दिनांक 12 दिसम्बर, 2023 (संलग्न) निर्गत किये जाने के पश्चात कृत कार्यवाही से मा० मंत्रिमण्डल को अवगत कराये जाने हेतु प्रस्ताव मा० मंत्रिमण्डल के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

5- मत्स्य विभागान्तर्गत जलाशयों के ठेकेदारों को 05 वर्षों हेतु ठेका प्राप्त होने पर प्रथम वर्ष में मत्स्य बीज संचय करने के उपरान्त जलाशय की क्षमतानुसार उत्पादन प्राप्त करने हेतु लगभग 02 वर्षों का समय लगता है, इसके अतिरिक्त अन्तिम वर्षों में ठेका समाप्त होने के दृष्टिगत ठेकेदार द्वारा जलाशय में उपलब्ध स्टॉक को पूर्णतः खाली किये जाने का भरसक प्रयास किया जाता है जिस कारण जलाशय की उत्पादकता पर असर पड़ता है। अतः प्रस्तावित संशोधित नियमावली “उत्तराखण्ड मत्स्य (संशोधन) नियमावली, 2024” में ठेका अवधि “05 वर्ष से 10 वर्ष” एवं “खुली ई-निविदा” किये जाने पर मुख्यतः निग्नवत लाभ होंगे:-
1. जलाशयों की वर्तमान उत्पादकता 41 कि०ग्रा० प्रति हैक्टेयर से 60-65 कि०ग्रा० प्रति हैक्टेयर होगी।
2. राज्य को प्राप्त होने वाले राजस्व में लगभग 50 से 60 प्रतिशत तक वृद्धि होगी।
3. वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर मत्स्य बीज संचय एवं मत्स्य आखेट से जलाशय का जलजैविक संतुलन बना रहेगा।
4. जलाशयों का उचित प्रबन्धन, व्यापक जनहित एवं राज्य हित में होगा।
5. “खुली ई-निविदा” किये जाने पर निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता आयेगी।

6- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार के देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय को कार्यालय भवन निर्माण हेतु लोक निर्माण विभाग के स्वामित्व की भूमि का निःशुल्क हस्तान्तरण।
राज्य में स्थित राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण एवं रख-रखाव तथा सड़क परिवहन एक राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार (मोर्थ) द्वारा केन्द्र पोषित योजनाओं यथा-केन्द्रीय सड़क अवसंरचना निधि (सी०आर०आई०एफ०), एन०एच० (ओ०) आदि परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु देहरादून में क्षत्रीय कार्यालय स्थापित है। यह कार्यालय किराये के भवन में संचालित है। उल्लेखनीय है कि विगत 05 वर्षों में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एन०एच० (ओ०) के अन्तर्गत लगभग रु० 15,000.00 करोड़ तथा सी०आर०आई०एच० के अन्तर्गत लगभग रु० 12,00.00 करोड क्री स्वीकृतियां निर्गत की गयी है। केन्द्र सरकार की सहायता से सड़क एवं सेतुओं के निर्माण में राज्य ने आशातीत प्रगति की गयी है। केन्द्र सरकार के कार्यालय भवन हेतु भूमि की उपलब्धता होने पर राज्य के राष्ट्रीय राजमार्ग खण्ड, डोईवाला एवं देहरादून (वर्तमान में किराये के भवन पर संचालित) अधीक्षण अभियन्ता (एन० एच०, गढ़वाल) तथा मुख्य अभियन्ता (एन०एच०, उत्तराखण्ड) के कार्यालय को भी प्रस्तावित भवन में स्थानांतरित किया जाना प्रस्तावित है। अतः लोक निर्माण विभाग के स्वामित्व की 06 नम्बर पुलिया, रिंग रोड, देहरादून स्थित 0.0266 हेक्टेयर भूमि को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार के क्षेत्रीय कार्यालय के भवन निर्माण हेतु निःशुल्क उपलब्ध करायी जानी है। कार्यालय भवन निर्माण का व्यय भारत सरकार द्वारा स्वयं वहन किया जाना है।

ये भी पढ़ें:  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का 23 – 24 अप्रैल 2024 को उत्तराखंड दौरा, मुख्य सचिव ने दिए ये निर्देश..

7- पुरानी जेल परिसर, देहरादून में स्थित न्याय विभाग के स्वामित्व की कुल 0.7401 है० भूमि में से 05 बीघा भूमि बार एसोसिएशन, देहरादून में अधिवक्ताओं के चैम्बर निर्माण हेतु 1.00 रूपये प्रतिवर्ष की दर से 30 वर्षों के लिए लीज पर दिया जाना।
पुरानी जेल परिसर, देहरादून में स्थित न्याय विभाग के स्वामित्व की कुल 0.7401 है० भूमि में से 05 बीघा भूमि बार एसोसिएशन, देहरादून में अधिवक्ताओं के चैम्बर निर्माण हेतु 1.00 रूपये प्रतिवर्ष की दर से 30 वर्षों के लिए लीज पर दिये जाने के प्रस्ताव को विचलन के माध्यम से मा० मुख्यमंत्री जी, उत्तराखण्ड सरकार की अनुमति के क्रम में शासनादेश क्रमांक- 09/XXXVI-A-3/2024-10/ सा0 /2018, दिनांक 16.01.2024 द्वारा उक्त 05 बीघा भूमि बार एसोसिएशन, देहरादून को हस्तान्तरित किये जाने के आदेश निर्गत कर दिये गये हैं। प्रस्ताव मा० मंत्रिमण्डल के संज्ञानार्थ प्रस्तुत ।

8- उत्तराखण्ड बाढ़ मैदान परिक्षेत्रण अधिनियम, 2012, समय-समय पर यथा संशोधित के प्राविधानानुसार जनपद हरिद्वार में तहसील हरिद्वार के अन्तर्गत गंगा नदी के दांये तट पर हरिपुर कलां से चण्डी पुल तक एवं जनपद देहरादून के अन्तर्गत ऋषिकेश क्षेत्र में ढालवाला ड्रेन से पशुलोक बैराज एवं पशुलोक बैराज से हरिपुर कला तक गंगा नदी के दांये तट पर (ऋषिकेश, खड़कमाफ, गौहरीमाफी, रायवाला एवं हरिपुर परगना-परवादून) तक हेतु अन्तिम अधिसूचना निर्गत किये जाने के सम्बन्ध में समयबद्धता के दृष्टिगत प्रकरण में विचलन के माध्यम से मा० मुख्यमंत्री जी की संस्तुति / अनुमोदन प्राप्त करने के उपरान्त अधिसूचना संख्या-40 एवं 41 दिनांक 08.01.2024 को निर्गत कर दी गयी है। प्रस्तुत प्रस्ताव को मा० मुख्यमंत्री जी द्वारा विचलन से संस्तुति / अनुमोदन की सूचना मा० मंत्रिमण्डल के अवगतार्थ प्रस्तुत किया जाना।

9- भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के पुनर्गठित ढांचे में अतिरिक्त अवशेष पदों के सृजन के सम्बन्ध में।
मा० मंत्रिमण्डल की बैठक दिनांक 04.12.2023 में लिये गये निर्णय के अनुपालन में दिनांक 16.12.2023 द्वारा पुनर्गठित भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के ढांचे में औचित्यपूर्ण पाये गये 07 अतिरिक्त पदों को सृजित कराया जा रहा है।

10- उत्तराखण्ड रिवर ड्रेजिंग नीति, 2021 में आंशिक संशोधन किये जाने के सम्बन्ध में।
मा० उच्च न्यायालय, उत्तराखण्ड द्वारा जनहित याचिका सं0 169/2022 ‘गगन परासर बनाम उत्तराखण्ड राज्य व अन्य’ में पारित आदेश दिनांक 14.12.2023 के अनुपालन में तथा उक्त नियमावली के प्राविधानों को सरलीकृत / व्यवहारिक बनाये जाने के दृष्टिगत उत्तराखण्ड रिवर ड्रेजिंग नीति, 2021 के कतिपय प्राविधानों को संशोधित किया जा रहा है।

11- व्यवसाय संघ (उत्तराखण्ड संशोधन) विधेयक, 2020 को सदन के पटल से वापस लिये जाने के संबंध में।
राज्य में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के उद्देश्य से व्यवसाय संघ अधिनियम, 1926 की धारा 04 एवं धारा 09 में संशोधन करते हुए व्यवसाय संघ (उत्तराखण्ड संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया था, जिसमें किसी व्यवसाय संघ को रजिस्ट्रीकृत किये जाने हेतु उसमें नियोजित कर्मकारों की संख्या दस प्रतिशत या एक सौ कर्मकारों के स्थान पर तीस प्रतिशत रखा गया था। जिसे केन्द्रीय व्यवसाय संघ अधिनियम, 1926 के प्राविधानों के विरूद्व पाते हुए भारत सरकार ने वापस लिये जाने की अपेक्षा की गयी है। तत्क्रम में व्यवसाय संघ (उत्तराखण्ड संशोधन) विधेयक, 2020 को सदन के पटल से वापस लिये जाने हेतु मा० मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है।

ये भी पढ़ें:  उत्तराखंड में इलेक्शन सीजर मैनेजमेंट सिस्टम के अन्तर्गत 16 मार्च से अभी तक 16 करोड़ 05 लाख की हुई जब्ती : अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे

12- राज्य सरकार की महिला सरकारी सेवकों / एकल अभिभावक (महिला एवं पुरूष) सरकारी सेवकों को बाल्य देखभाल अवकाश (Child Care Leave) अनुमन्य किये जाने सम्बन्धी कार्यालय ज्ञाप दिनांक 01 जून, 2023 में आंशिक संशोधन किये जाने के सम्बन्ध में।
राज्य सरकार की महिला सरकारी सेवकों / एकल अभिभावक (महिला एवं पुरूष) सरकारी सेवकों को वित्त विभाग, उत्तराखण्ड शासन के कार्यालय ज्ञाप दिनांक 01 जून, 2023 द्वारा विशिष्ट परिस्थितियों यथा सन्तान की बिमारी अथवा परीक्षा आदि में सन्तान की 18 वर्ष की आयु तक देखभाल हेतु सम्पूर्ण सेवाकाल में अधिकतम दो वर्ष (730 दिन) का बाल्य देखभाल अवकाश इस शर्त / प्रतिबन्ध के साथ अनुमन्य किया गया है किः-
बाल्य देखभाल अवकाश में रहते हुए कार्मिक को पहले 365 दिनों में उन्हें अनुमन्य अवकाश वेतन का 100 प्रतिशत तथा अगले 365 दिनों में उन्हें अनुमन्य अवकाश वेतन का 80 प्रतिशत वेतन दिया जायेगा। जिन महिला सरकारी सेवकों द्वारा पूर्व से बाल्य देखभाल अवकाश लिया जा रहा है, के सम्बन्ध में यह प्रावधान अवकाश लेखे में बचे हुए अवकाशों पर ही नियमानुसार लागू होगा।”
विभिन्न माध्यमों से उक्त शर्त / प्रतिबन्ध को विलोपित किये जाने हेतु राज्य सरकार को प्राप्त प्रत्यावेदनों का पुनः परीक्षण किये जाने के क्रम में उक्त उल्लिखित शर्त / प्रतिबन्ध को निम्नवत् संशोधित किये जाने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है:-
“राज्य सरकार की महिला सरकारी सेवकों / एकल अभिभावक (महिला एवं पुरुष) सरकारी सेवकों को बाल्य देखभाल अवकाश की अवधि के दौरान अवकाश पर प्रस्थान करने से पूर्व प्राप्त हो रहे /आहरित वेतन के समतुल्य ‘अवकाश वेतन देय होगा।”

13- उत्तराखण्ड राज्य के अनेक प्रतिभावान खिलाड़ियों द्वारा अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से राज्य को खेलों के क्षेत्र में नई पहचान दी है: अतः प्रतिभावान खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किए जाने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य के कुशल खिलाड़ियों को लोक सेवाओं और पदों में 04 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण अनुमन्य किये जाने के सम्बन्ध में उत्तराखण्ड लोक सेवा (अन्तर्राष्ट्रीय / राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में पदक विजेता / प्रतिभाग करने वाले कुशल खिलाड़ियों के लिए क्षैतिज आरक्षण) विधेयक, 2024 को विधानसभा के पटल पर रखे जाने हेतु कैबिनेट द्वारा दी गयी मंजूरी।

14- उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के अधीन सहासिक पर्यटन विंग के कार्मिकों के ढांचे में सृजित विषय-विशेषज्ञ (जल, थल एवं वायु कीड़ा) के नियत वेतन (संविदा) के पदों हेतु निर्धारित अर्हताओं में संशोधन किये जाने के संबंध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।
उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के अधीन सहासिक पर्यटन विंग के कार्मिकों के ढांचे में सृजित विषय विशेषज्ञ (जल, थल एवं वायु क्रीडा) के नियत वेतन (संविदा) आधारित पदों पर भर्ती / नियुक्ति हेतु अर्हताओं में संशोधन किया गया है, जिससे राज्य में सहासिक पर्यटन क्षेत्र की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

15- वाईब्रेन्ट विलेज योजानान्तर्गत सीमान्त गांव जादुंग उत्तरकाशी के पर्यटन विकास हेतु होम स्टे कलस्टर के रूप में विकसित करने हेतु योजना प्रख्यापित किये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।
सीमान्त गांव जादूंग भारत सरकार द्वारा संचालित “चाईब्रेन्ट विलेज” के अन्तर्गत चिन्हित है जिसे टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाना है, जिससे उत्तराखण्ड राज्य में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि एवं गांव के मूल निवासियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो पायेंगें। अतः वाईब्रेन्ट विलेज योजानान्तर्गत सीमान्त गांव जादुंग उत्तरकाशी के पर्यटन विकास हेतु होम स्टे कलस्टर के रूप में विकसित करने हेतु योजना प्रख्यापित किये जाने पर अनुमति प्रदान की गयी है।

16- लखवाड-व्यासी जल विद्युत परियोजना के पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन हेतु पूर्व निर्गत शासनादेश सं० 66 दिनांक 13.01.2016 के प्रस्तर-8 (ब) के अन्तर्गत अल्प तकनीकी लघु कार्य परियोजना प्रभावितों को प्रभावित क्षेत्र की सहकारी समिति के माध्यम से कराये जाने की वित्तीय सीमा को रू0 05 लाख से वृद्धि करते हुए रू 10.00 लाख किये जाने विषयक।
300 मेगावॉट की लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना हेतु परियोजना हित में लखवाड़ व्यासी जल विद्युत परियोजना के पुनर्वास एवं पुनर्वास हेतु पूर्व में निर्गत ऊर्जा विभाग के शासनादेश संख्या-66 दिनांक 13.01.2016 के प्रस्तर 8 द्वितीयक रोजगार (ब) अल्प तकनीकी लघु कार्यों को प्रभावितों के माध्यम से कराया जाना- रू0 05.00 लाख के स्थान पर रु 10.00 लाख तक के अल्प तकनीकी लघु कार्य परियोजना प्रभावितों को परियोजना प्रभावित क्षेत्र की सहकारी समिति, जिसके पास ई०पी०एफ० पंजीकरण हो के माध्यम से एकल निविदा के आधार पर सार्वजनिक निर्माण विभाग की अनुसूची की दरों पर तथा उत्तराखण्ड प्रोक्योरमेंट पॉलिसी-2008 के अन्तर्गत दिये जायेंगे।”, पर उक्तानुसार संशोधित किये जाने हेतु प्रस्ताव पर मा० मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन प्रदान किया।

ये भी पढ़ें:  मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने लिया निर्वाचन तैयारियों का जायजा

17- बाल देखरेख के क्षेत्र में SOS Children Village, भीमताल, नैनीताल संस्था के बेहतरीन कार्यशैली एवं उचित व्यवस्था के अनुकरणीय मॉडल की तर्ज पर SOS संस्था के साथ मिलकर राज्य की भौगोलिक स्थिति के दृष्टिगत इसी तरह के केन्द्र / गृह गढ़वाल क्षेत्र में विकसित किया/चलाया जाना है। उक्त मॉडल की भांति गढ़वाल क्षेत्र में भी बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण हेतु सुविधाओं व सेवाओं की व्यवस्था किये जाने हेतु प्रथम 05 वर्षों तक राज्य सरकार द्वारा अंशदान दिया जाना हैं। छठवें वर्ष से संस्था द्वारा योजना का संचालन अपने संसाधनों से किया जाएगा।

18- वित्तीय वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 उत्तराखण्ड राज्य में कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में आने वाले व्यक्तियों हेतु कोविड-19 टेस्ट (आर०टी०पी०सी०आर०/एंटीजन टेस्ट) हेतु विभिन्न लैब अधिकृत किये गये, होटल/आश्रम/लॉज अधिकृत किये गये, संक्रमित स्थानों के मार्गों में बैरीकेडिंग / महाराणा प्रताप स्टेडियम को कोविड-19 सेन्टर बनाया गया, कंटेनमेंट / क्वारंटीन जोन का निर्धारण किया गया, वैक्सीनेशन केन्द्र भवन का निर्माण कराये गये थे, वाहन आदि की व्यवस्था की गयी थी। जिसके क्रम में तत्समय अधिकृत लैब के सापेक्ष अवशेष 10 लैब के बीजक, अधिकृत किये गये होटल/आश्रम के आवासीय एवं भोजन के बीजक, प्रयुक्त वाहन के ईधन के बीजक आदि का भुगतान तत्समय न होने के कारण उक्त बीजक कुल रू0 23.0993 करोड़ (रू० तेईस करोड़ नो लाख तिरानवें हजार मात्र) वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2023-24 में राज्य आपदा मोचन निधि मद से अवमुक्त किये जाने के प्रस्ताव के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

19- दो से अधिक जीवित संतान वाले व्यक्तियों हेतु त्रिस्तरीय पंचायतों की सदस्यता के लिए अनर्हता सम्बन्धी उपबन्ध विषयक।
उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 की धारा 8 (1) (द). 53 (1) (द) एवं धारा 90(1) (द) में वर्णित दो से अधिक जीवित संतान वाले व्यक्तियों के लिए त्रिस्तरीय पंचायतों की सदस्यता के लिए अनर्हता सम्बन्धी उपबन्धित व्यवस्था को प्रतिस्थापित किये जाने हेतु उत्तराखण्ड पंचायतीराज (संशोधन) विधेयक, 2024 प्रख्यापित किये जाने के लिए कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

20- पुलिस विभाग में समस्त संवर्ग के आरक्षियों (कान्स्टेबल) की सेवा नियमावली में एकरूपता लाये जाने के उद्देश्य से आरक्षी, चालक की वरिष्ठता अपने मूल संवर्ग में मौलिक नियुक्ति की तिथि से निर्धारित किये जाने एवं परिवहन शाखा में पूर्व में अपने मूल संवर्ग से स्थानान्तरित हो कर नियुक्त आरक्षी चालकों को एक बार अपवाद स्वरूप अपने मूल संवर्ग में वापस जाने पर पदोन्नति के अवसर प्राप्त होने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड पुलिस मोटर परिवहन शाखा अधीनस्थ सेवा (संशोधन) नियमावली, 2024 के प्रख्यापन के लिए कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

21- पेराई सत्र 2023-24 हेतु गन्ने का राज्य परामर्शित मूल्य एवं गन्ना विकास अंशदान (कमीशन) की दर निर्धारित किये जाने के सम्बन्ध में।
पेराई सत्र 2023-24 हेतु राज्य सरकार द्वारा विगत पेराई सत्र 2022-23 हेतु निर्धारित गन्ना मूल्य में रू० 20.00 प्रति कुन्तल की वृद्धि करते हुए गन्ने की अगेती प्रजाति हेतु रू० 375.00 प्रति कुन्तल (मिल गेट पर) तथा सामान्य प्रजाति हेतु रू० 365.00 प्रति कुन्तल (मिल गेट पर) निर्धारित किये जाने एवं विगत पेराई सत्र सत्र 2022-23 की भांति पेराई सत्र 2023-24 हेतु भी गन्ना विकास अंशदान (कमीशन) की दर रू० 5.50 प्रति कुन्तल निर्धारित किये जाने एवं इसके फलस्वरूप गन्ना विकास समिति के कार्मिकों के वेतन इत्यादि देयकों के भुगतान हेतु रु० 136.48 लाख (रू० एक करोड़ छत्तीस लाख अड़तालीस हजार मात्र) की आर्थिक सहायता राज्य सरकार द्वारा दिये जाने का निर्णय लिया गया है।
22- एकल सदस्यीय समर्पित आयोग का कार्यकाल 01 वर्ष विस्तारित किये जाने के संबंध में।
राज्य के भीतर प्रति स्थानीय निकायों में पिछडेपन की प्रकृति और निहितार्थों की समसामयिक कठोर अनुभवजन्य जांच (contemporaneous rigorous empirical inquiry) कराये जाने हेतु गठित एकल सदस्यीय समर्पित आयोग का कार्यकाल आगामी 01 वर्ष अर्थात् 31 जनवरी, 2025 तक के लिए बढ़ाये जाने के लिए कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!