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108 चित्रों में सम्पूर्ण रामायण दर्शाती पुस्तक ‘रामचित्रायण’ देखने को उमड़ी भीड़

देहरादून। होटल मधुबन में आयोजित दो-दिवसीय साहित्य एवं कला फेस्टिवल में यूँ तो अनेक स्थापित लेखकों और कलाकारों ने दूनवासियों का ध्यान खींचा लेकिन एक रचना ऐसी भी थी जिसमें कला एवं साहित्य का बेजोड़ संगम देखने को मिला.

वह रचना रही डॉ मनीषा बाजपेयी द्वारा रचित 108 चित्रों में सम्पूर्ण रामायण कथा दर्शाती पुस्तक ‘रामचित्रायण’ जिसमें गोस्वामी तुलसीदासकृत शाश्वत महाकाव्य की चुनिन्दा चौपाइयाँ, उनके प्रामाणिक हिन्दी सरल अर्थ तथा अंग्रेज़ी अनुवाद भी प्रस्तुत किये गये हैं.

सभी सात सोपानों (अध्यायों) को अलग-अलग रंगों की पार्श्वभूमि (बैकग्राउंड) से सजाया गया है जो कि देखते ही बनते हैं.

उन्होंने कोरोना काल में इस चित्रश्रृंखला को बनाया जो कि हाल ही में ललित कला अकादमी में आज तक के सबसे बड़ी सोलो (एकल) शो के रूप में प्रदर्शित हुई.

साथ ही उन्होंने इस श्रृंखला को पुस्तक रूप में भी प्रकाशित कर दिया. ‘मैं चाहती हूँ कि मेरे विनम्र यज्ञ का प्रसाद अधिकाधिक लोगों तक पहुँचे चाहे वे कला-प्रेमी हों, साहित्य-प्रेमी हों, अथवा अपनी संस्कृति को प्रेम करने वाले हों.’ डॉ मनीषा कहती हैं.

स्थापित कलाकार डॉ मनीषा बाजपेयी देहरादून में प्रकृति के निकट रहकर अपना चित्रांकन करती हैं तथा देश विदेश में लगभग तीस प्रदर्शनियाँ लगा चुकी हैं.

कैनवस पर एक्रिलिक रंगों से डॉ मनीषा की अनूठी मिनिमलिस्टिक शैली से बने चित्रों में दर्शक को अन्त तक बाँधे रखने का आकर्षण है तथा सामान्य पाठक आसानी से मात्र 40-50 मिनट में बिना कोई पात्र, घटना अथवा स्थल का वर्णन छोड़े पूरी रामकथा का आनंद प्राप्त कर सकता है.

‘भारतीय संस्कृति यदि हज़ारों साल से अपने स्वरूप को बनाये रख सकी है तो इसमें निश्चित रूप से इस महाकाव्य का बहुत बड़ा हाथ रहा है. हमें विश्वास है कि वर्तमान पीढ़ी जिसके पास व्यस्तताओं के चलते समय का अभाव है इसे

हाथ में लेकर अपनी संस्कृति के प्रति अवश्य आकृष्ट होगी.’ – कहना है डॉ मनीषा के पति राज कुमार बाजपेयी का जिन्होंने ‘रामचित्रायण’ के सम्पादन में योगदान किया है.

‘मात्र प्रदर्शनी अथवा पुस्तक नहीं अपनेआप में एक संपूर्ण आध्यात्मिक अनुभव है ये’ – प्रख्यात कलाकार विजेंद्र शर्मा कहते हैं.

‘रामचित्रायण’ देहरादून की ग्रीन बुकशॉप नटराज में उपलब्ध है.

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