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पर्यटन के रूप में डोईवाला को नई पहचान दिलवा सकता है बेहद ठंड़े गंधक पानी का यह स्रोत

डोईवाला के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है गंधक पानी का स्रोत
Dehradun. डोईवाला राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से नहीं बल्कि भौगोलिक रूप से भी बहुत खास है।
डोईवाला में सौंग, सुसवा और जाखन प्रमुख नदियों के अलावा दर्जनों दूसरी सहायक नदियां भी हैं। थानों, बड़कोट और लच्छीवाला वन रेंज सहित बुल्लावाला से सटा हुआ राजाजी पार्क भी है। जो डोईवाला को भौगोलिक और प्राकृतिक रूप से अलग पहचान दिलवाता है।
लेकिन डोईवाला के पहाड़ों में एक क्षेत्र ऐसा भी है। जिस पर फोकस किया जाए तो वो डोईवाला को पर्यटन के रूप में एक नई पहचान दिलवा सकता है। डोईवाला के दुर्गम इलाकों में शामिल हल्द्वाड़ी ग्राम सभा में एक स्थान गंधक पानी के नाम से जाना जाता है। जहां पहाड़ों से गंधक पानी निकल रहा है।
पुराने लोगों को छोड़ दें तो डोईवाला की नई पीढी को शायद ये पता भी नहीं होगा कि डोईवाला के पहाड़ों में एक गंधक पानी का प्राकृतिक स्रोत भी है। जिसके गंधकयुक्त पानी में नहाने से कई चर्म रोग दूर होने का स्थानीय लोगों द्वारा दावा भी किया जाता है।
अभी तक सभी ने गंधकयुक्त गर्म जल के बारे में काफी सुना है। लेकिन हल्द्वाडी में पहाड़ों से जो गंधकयुक्त पानी निकल रहा है। वो एकदम ठंड़ा है। ठंड़ा होने के कारण यहां अधिक देर तक नहीं नहाया जा सकता है। जब इस गंधक स्रोत के पास पहुंचते हैं तो काफी दूर से ही गंधक की गंध से पता लग जाता है कि आसपास कोई गंधक का स्रोत है। इस गंधक स्रोत के आसपास ऊंचे-ऊंचे पहाड़ हैं।
जिनसे नब्बे के दशक तक चूना पत्थर निकाला जाता था। यह क्षेत्र टिहरी जिले से भी सटा हुआ है। जहां काफी कम आबादी निवास करती है। हल्द्वाड़ी में प्राचीन काल से स्थित इस गंधक स्रोत को यदि विकसित किया जाए तो यह स्थान डोईवाला को एक नए पर्यटन स्थल में विशेष पहचान दिलवा सकता है।
इसके साथ ही हल्द्वाड़ी ग्राम सभा की आय में भी गंधक पानी मिल का पत्थर साबित हो सकता है। वहीं यह स्थान वैज्ञानिकों के लिए भी शोध का विषय हो सकता है। प्रकृति में गंधक दो रूप में पाया जाता है पीला और सफेद, पीला गंधक आंतरिक रूप से उपयोगी है जबकि सफेद गंधक बाह्य रूप में उपयोगी माना जाता है। गंधक को संस्कृत में गौरीबीज गंधपाषाण, गंधक और कीटहन के नाम से जाना जाता है।
