
एक ही क्षेत्र के लोगों के लिए हैं अलग-अलग नियम
देहरादून। नगर पालिका क्षेत्र में शामिल होने के बाद अठुरवाला टिहरी विस्थापितों के पेयजल बिल माफ किए जाने के बाद एयरपोर्ट को जमीन देने वाले किसानों ने भी आवाज उठाई है।
एयरपोर्ट विस्तीकरण में 2006 के आसपास जमीन देने वाले किसानों और लोगों का कहना है कि जिस तरह टिहरी विस्थापितों के बिल माफ किए गए हैं। उसी तरह उनके भी बिल माफ होने चाहिए। सत्तर के दशक के आसपास टिहरी बांध के कारण काफी परिवारों को अठुरवाला में बसाया गया था। तब से लेकर नगर पालिका के विस्तारीकरण तक उनसे पेयजल का कोई शुल्क नहीं लिया गया। पेयजल व्यवस्था भी खुद ग्राम सभा की संचालित करती थी। लेकिन नगर पालिका में शामिल किए जाने के बाद अठुरवाला की पेयजल व्यवस्था जल संस्थान के हाथों में चली गई। जिसके बाद जल संस्थान द्वारा विस्थापित परिवारों को पेयजल बिल भेजा गया।
लेकिन चौतरफा विरोध के बाद मुख्यमंत्री के ओएसडी धीरेंद्र पंवार ने जल संस्थान के अधिकारियों को विस्थापितों से बिल नहीं वसूलने के निर्देश दिए। जिसके बाद इस मामले को फिलहाल ठंड़े बस्ते में ड़ाल दिया गया है। लेकिन अब एयरपोर्ट को जमीन देने वाले लोगों और किसानों का कहना है कि विस्थापितों ने टिहरी बांध की खातिर अपनी जमीनें और घर दे दिए हैं लेकिन उन्होंने भी एयरपोर्ट के लिए अपनी जमीनें और घर सरकार को दिए हैं। इसलिए उनके भी पानी और बिजली के बिल माफ किए जाने चाहिए। उधर जल संस्थान के अधिशासी अभियंता ने कहा कि विस्थापितों से बिल वसूले जाने का फैसला फिलहाल स्थगित किया गया है। निर्धारित कमेटी को ही इस बारे में अंतिम फैसला लेना है।