चमोली। न्यूजीलैंड का कीवी फल अब उत्तराखंड के किसानों की बदलने वाला साबित हो रहा है।
कीवी उत्पादन के लिए केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने प्रगतिशील काश्तकारों का चयन कर
उन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया है। ये किसान एक क्लस्टर में कीवी का उत्पादन करेंगे।
विभाग की यह योजना रंग लायी तो आगामी वर्षों में कई अन्य किसान इस योजना से जुड़ेंगे
और बड़ी मात्रा में स्थानीय कीवी का उत्पादन बाजार में देखनें को मिलेगा जो इको फ्रैंडली भी
होगा । केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने फाटा ब्यूँग कैट प्लान के तहत ऊखीमठ विकासखंड
के ग्यारह गाँवों के पच्चीस चयनित किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र सोलन हिमांचल से कीवी
उत्पादन का प्रशिक्षण दिलाया है। मुख्य वन संरक्षक वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन निशांत
वर्मा ने शनिवार को धनपुर रैंज सभागार गौचर में प्रशिक्षण से लौटे किसानों की हौसलाफजाई
करते हुए कहा कि हमें कीवी मिशन से अधिकाधिक किसानों को जोड़ना होगा।
ताकि स्थानीय स्तर पर कीवी उत्पादन को बढ़ावा मिल सके । उन्होंनें कहा कि आज
बाजार में कीवी फल की अत्यधिक माँग है और कीवी उत्पादन से कुछ ही वर्षों में किसानों की
किस्मत चमक सकती है । उन्होंनें किसानों को हर तरह का तकनीकि सहयोग दिलानें का भरोसा दिया।
डीएफओ इंद्र सिंह नेगी नें कहा कि कीवी का उपयोग हर तरह की बीमारियों के निदान व
आरोग्य रहने के लिए हो रहा है। ऐसे में बाजार में कीवी के अच्छे दाम मिल रहे हैं।
इसलिए बाजार की माँग के अनुसार स्थानीय स्तर पर कीवी का उत्पादन कर किसान अच्छा
मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंनें कहा कि कीवी की बेल करीब तीन से पाँच साल में उत्पादन
देना शुरू कर देती है। और तीस वर्षों से अधिक अवधि तक उत्पादन मिलता है। बाजार में कीवी
की कीमत दो सौ से चार सौ रुपये किलो होनें से किसान प्रति नाली तीन से चार कुंतल कीवी
उत्पादन कर प्रतिवर्ष तीन से चार लाख रुपये तक कमा सकते हैं।
धनपुर रेंज के वन क्षेत्राधिकारी पंकज ध्यानी नें बताया कि कैट प्लान के तहत प्रगतिशील
किसानों के माध्यम से क्लस्टर में कीवी उत्पादन की योजना है और आगामी वर्षों में इन किसानों के माध्यम से अन्य किसानों को प्रशिक्षण देकर कीवी कृषिकरण से जोड़ा जाएगा ताकि अधिक से अधिक किसानों को आजीविका विकास का मौका मिल सके । उन्होंनें कहा कि काश्तकारों का स्थानीय उत्पादन बढ़ानें के साथ ही बाजार प्रबंधन का प्रयास भी किया जाएगा । इस मौके पर मुख्य वन संरक्षक और डीएफओ द्वारा प्रशिक्षण से लौटे किसानों को कीवी पौधों का वितरण भी किया गया।