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(गजब) एक घर की लाइट ठीक करने को काटनी पड़ती है हजारों घरों की बिजली

हाईटैक होने के बजाय दशकों पीछे चला गया विद्युत विभाग

डोईवाला। लगता है कि आधुनिक और हाईटैक होने के बजाय विद्युत विभाग पचास साल पीछे चल रहा है।

आलम ये है कि यदि एक घर की लाइट ठीक करनी हो तो विद्युत विभाग पूरे फीडर को ही बंद कर देता है। जिससे हजारों घरों की बिजली सप्लाई ठप हो जाती है। इसमें सबसे अधिक परेशानी किसानों और लघु व कुटीर उद्योगों को उठानी पड़ती है।

यदि पूरे क्षेत्र में किसी के घर या लाइन में कोई फाल्ट हो तो पूरे जौलीग्रांट फीटर को अठुरवाला बिजली घर से बंद कर दिया जाता है। जिससे कालूवाला, बड़ोवाला, भंगलाना, अपर जौलीग्रांट, कोठारी मोहल्ला, बिचली जौली, सैनिक मोहल्ला, बागी और कई दूसरे इलाकों की बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है। क्षेत्र की अधिकांश सिंचाई व्यवस्था नलकूपों पर आधारित है।

जहां औसतन एक किसान को 15 दिनों में एक बार कुछ घंटों के लिए सिंचाई का पानी दिया जाता है। यदि उस किसान के नंबर के समय बिजली ठप हो तो उसे और 15 दिनों तक सिंचाई के लिए इंतजार करना पड़ता है। इससे खेतों को पानी मिलने में एक महीने का समय लग जाता है। और एक माह में फसल खराब हो जाती है।

बिजली विभाग के दशकों पुराने ढर्रे पर चलने के कारण किसानों की आय दोगुना होने की बजाय आधे से भी कम हो गई है। बडा क्षेत्र होने के कारण हर रोज कहीं न कहीं फाल्ट आता है। जिस कारण एक घर की लाइट या लाइन का फॉल्ट ठीक करने को पूरे क्षेत्र के हजारों घरों और दर्जनों सिंचाई व पेयजल नलकूपों की बिजली ठप कर दी जाती है। इससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है।

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विद्युत विभाग का कहना है कि किसी घर की लाइट ठीक करने में कुछ ही मिनट लगते हैं। और फिर बिजली चालू कर दी जाती है। लेकिन जो किसान हैं वो अच्छी तरह से जानते हैं कि दस मिनट की लाइट बंद करने से किसान के खेत तक दोबारा पानी पहुंचने में एक घंटे से भी अधिक का समय लग जाता है। जबकि होना ये चाहिए था कि विद्युत विभाग को हर ट्रांसफार्मर पर लाइन कट करने का उपकरण लगाना चाहिए था।

जिससे किसी घर या लाइन खराब होने पर ट्रांसफार्मर से लाइन कट करके मरम्म्त की जा सकती है। इससे बहुत कम घरों की बिजली आपूर्ति ही बाधित होती है। लेकिन विद्युत विभाग विद्युत दरें लगातार बढाने के बावजूद अभी भी दशकों पीछे चल है। जिससे किसानों की आय आधे से भी कम होती जा रही है।

पहले ट्रांसफार्मर से ही बंद की जाती थी बिजली

डोईवाला। राज्य गठन के कई वर्ष बाद तक भी लगभग प्रत्येक ट्रांसफार्मर पर लाइन कट करने का उपकरण फिट था। लेकिन कमीशन अधिक खाने और मेहनत को कम करने के लिए अब किसी भी ट्रांसफार्मर पर लाइन कट करने का ऑप्सन नहीं है।

जिससे एक गली या घर की बिजली ठीक करने को दर्जनों गांवों की बिजली बंद कर दी जाती है। पहले लाइनों में चीनी मिट्टी के इंसुलेटर लगाए जाते थे। जो कई दशक तक चलते थे। लेकिन अब विद्युत लाइनों पर प्लास्टिक के इंसुलेटर लगाए जा रहे हैं। जो आए दिन खराब या फटते रहते हैं।

इन्होंने कहा

ये समस्या काफी गंभीर है। जिससे किसानों और लघु उद्योगों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा। शक्ति सिंह, अधिशासी अभियंता विद्युत विभाग डोईवाला।

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