Dehradun. जौलीग्रांट गीता पाठशाला में ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ऋषिकेश से आई हुई ब्रह्मकुमारी आरती बहिन ने कहा कि जीवन में गुणों का दान से बढकर कोई दान नहीं है।
गीता पाठशाला में ब्रह्मकुमारी का ध्वज फहराया गया। ब्रह्मकुमारी आरती बहिन ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी पर गुस्सा या उसके साथ गलत करता है तो उसके साथ गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए। बल्कि उसे एक आत्मा के रूप में देखा जाना चाहिए। और शांत रहकर या उसके गलत कार्यो पर उसके साथ अच्छा आचरण कर उसे बदला जा सकता है।
उदाहरण देते हुए कहा कि एक व्यक्ति एक साधु पर प्रतिदिन ऊपर से कूड़ा फेंकता था। जिस कारण उस साधु को रोज दोबारा नहाकर आना पड़ता था। एक दिन जब उसके ऊपर कूड़ा नहीं फेंका गया तो साधु से उस वक्ति के कमरे में जाकर देखा कि कूड़ा फेंकने वाला बीमार पड़ा है। फिर उस साधु ने उस व्यक्ति की देखभाल की। जिससे वह व्यक्ति ठीक हो गया। और उसका व्यवहार पूरा बदल गया। इसलिए जीवन में गुणों का दान करना चाहिए।
यदि हम खुद कोई गलती करते हैं, तो दूसरों को सही रास्ते पर चलने की सलाह नहीं दे सकते हैं। ठीक इसी तरह यदि हमारा खुद पर नियंत्रण नहीं है, तो हम दूसरों को नियंत्रित नहीं कर सकते या फिर उन्हें नियंत्रित होने की सीख नहीं दे सकते हैं। भारतीय आध्यात्मिक शिक्षक और इंस्पीरेशनल स्पीकर ब्रह्मकुमारी आती बहिन कहती हैं, यह बात बहुत सीधी-सी है। यदि सामनेवाला गलत रास्ते पर जा रहा है, तो उसे सही राह पर ले जाने के लिए या उसे नियंत्रित करने के लिए स्वयं को शांत करना होगा।
अक्सर हम देखते हैं कि यदि कोई बच्चा गलती करता है तो माता-पिता उस पर चिल्लाते हैं। वे बच्चों को डांटते हुए कहते हैं, ‘तुमने ऐसा क्यों किया, कितनी बार कहा है कि ऐसा मत करो, लेकिन तुम सुनते ही नहीं हो।’ इस तरह वे अपना आपा खो देते हैं, ऐसी स्थिति में आपको शांत रहना सीखना होगा। इस अवसर पर राजकुमार पुण्डीर, अनिता, मीरा देवी, पुष्पा कुमाई, संजय बिज्लवाण, तिलक सिंह आदि उपस्थित रहे।