एयरपोर्ट से रेलवे स्टेशन पैदल जा रहे दर्जनों मजदूरों को वापस भेजा

लॉक डाउन तीन में बनी भ्रम की स्थिति, मजदूरों की हालत खराब
डोईवाला। लॉक डाउन तीन को लेकर इतनी गाइड लाइन आ चुकी हैं कि पढ़े-लिखे आदमी को भी नियम समझने में देर लग रही है।
सबसे ज्यादा परेशानी उत्तराखंड में फंसे हुए सैकड़ों मजदूरों के सामने आ रही है। लॉक डाउन तीन के पहले ही दिन एयरपोर्ट पर नए टर्मिनल में काम कर रहे दर्जनों मजदूर सीमेंट के खाली कट्टों में अपना सामान पैक कर पैदल ही हरिद्वार रेलवे स्टेशन के लिए निकल पड़े।
इन लोगों को लगा कि हरिद्वार से किसी ट्रेन में बैठकर ये लोग अपने राज्य झाडखंड, बिहार या यूपी चले जाएंगे। लेकिन पुलिस ने इन मजदूरों को रास्ते से ही वापस लौटा दिया। दर्जनों मजदूर तो लालतप्पड़ तक जा पहुंचे थे। ये सभी मजदूर एयरपोर्ट पर काम कर रही कंपनी आलूवालिया एक दूसरी कंपनी में जौलीग्रांट एयरपोर्ट में काम करते हैं।
ये मजदूर जब वापस एयरपोर्ट आए तो कंपनी के अधिकारियों ने इन्हे अंदर नहीं आने दिया। और डराया धमकाया गया। जिसके बाद दर्जनों मजदूर एयरपोर्ट के तिराहे पर ही बैठ गए। उसके बाद चौकी पुलिस ने इन मजदूरों को कंपनी में वापस भिजवाने में मदद की।
मजदूरों ने बताया कि एयरपोर्ट पर काम कर रहे लगभग 500 से अधिक मजदूर अपने घर जाना चाहते हैं। लेकिन कोई मदद नहीं कर रहा है। ठेकेदार भी कुछ लोगों को ही काम पर बुला रहा है। खाने-पीने और खर्च आदि की बड़ी समस्या पैदा हो गई है।
बिहार, झाड़खंड और यूपी के लोगों की कोई सुनवाई नहीं
डोईवाला। मजदूरों का आरोप है कि जिस तरह गुजरात के लोगों को उनके घर भिजवाने में मदद की जा रही है। उसी तरह दूसरे राज्यों के लोगों को भी उनके घर पहुंचाने के लिए मदद की जानी चाहिए। कहा कि एयरपोर्ट पर झाडखंड, बिहार और यूपी के सैकड़ों मजदूर काम कर रहे हैं। जो वापस अपने घर लौटना चाहते हैं। उनका कहना है कि जिस तरह से उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। उससे अब वो कभी यहां काम करने नहीं आएंगे।
उधर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह पहले ही इस मामले में कह चुके हैं कि उत्तराखंड से वापस भेजने के मामले में सिर्फ गुजरात के लोगों पर ही मेहनबानी की जा रही हैं। जबकि सभी मजदूर इसी देश के हैं। जिनमें भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।