उत्तराखंड

38वें राष्ट्रीय खेल में पहाड़ी व्यंजनों का जलवा

देहरादून: 38वें राष्ट्रीय खेल के तहत गंगा तट पर शिवपुरी में आयोजित बीच वॉलीबॉल प्रतियोगिता में खिलाड़ियों को न केवल रोमांचक मुकाबलों का अनुभव मिल रहा है, बल्कि उन्हें पहली बार पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद लेने का भी मौका मिल रहा है। विभिन्न राज्यों से आए खिलाड़ी पहाड़ी खाने की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।

हर दिन बनने वाले भोजन में पहाड़ी व्यंजन विशेष रूप से परोसे जा रहे हैं। इनमें झंगोरे की खीर, कंडाली का साग, भट्ट की चुरकाणी, बाड़ी, आलू का थिनचोणी, चैंसोणी, आलू के गुटके, गहत का फाणू, मंडवे की रोटी, हरे पत्ते की काफली, उड़द की पकौड़ी और सफेद तिल की चटनी शामिल हैं।

तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, पुडुचेरी, गोवा और राजस्थान से आए खिलाड़ियों ने बताया कि उन्होंने पहली बार पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद लिया और यह उन्हें काफी पसंद आया। विशेष रूप से गहत का फाणू, दूध और बाड़ी को खिलाड़ियों ने खूब सराहा।

खेल आयोजन में ड्यूटी पर लगे कर्मचारी भी पहाड़ी व्यंजनों का आनंद उठा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि राष्ट्रीय खेल में पहाड़ी भोजन को शामिल करना एक बेहतरीन पहल है, जिससे देशभर के लोग उत्तराखंड के पारंपरिक खानपान से परिचित हो रहे हैं।

दक्षिण भारत के कई खिलाड़ियों ने बताया कि यह उनके लिए एक अनोखा अनुभव है। “पहाड़ी व्यंजन स्वाद में बेहतरीन हैं, हमने पहली बार इनका स्वाद चखा और यह हमें बहुत पसंद आए,” एक खिलाड़ी ने कहा।

पहाड़ी संस्कृति और खानपान को राष्ट्रीय मंच पर पहचान मिलने से स्थानीय लोग भी बेहद खुश हैं। इस पहल से न केवल उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पारंपरिक व्यंजनों की लोकप्रियता भी बढ़ेगी।

ये भी पढ़ें:  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देहरादून में किया 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का शुभारंभ, कहा- Prevention is better than cure (इलाज से बेहतर रोकथाम है)-की भावना को साकार करता है योग

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!