लॉक डाउन असर: बरसात भर सिंचाई को तरसे मई में आया नदी में पानी
लॉक डाउन से बदल गया पर्यावरण, प्रकृति और पर्यावरण लेने लगे सांस
Dehradun. लॉक डाउन तीन की शुरूवात में शराब के ठेकों में उमड़ी भारी भीड़ से सोशल डिस्टेंसिंग के तार-तार होने की खबरों के बाद पर्यावरण के लिहाज से एक अच्छी खबर आई है।
21 मार्च से लॉक डाउन चल रहा है। लॉक डाउन के कारण पूरा देश घरों में कैद रहा। इससे चौबीस घंटों में ही प्रकृति और पर्यावरण बदलना शुरू हो गया था। जिस पर ‘दैनिक आमोघ’ सबसे पहले संबधित खबरें प्रकाशित कर चुका है। लॉक डाउन के दौरान तमाम सकारात्मक खबरें आपको हमने दी हैं। आज आपकों प्रकृति में हुए एक और अहम बदलाव के बारे में भी आपको जरूर जानना चाहिए।
लॉक डाउन के कारण वायु, ध्वनि और जल प्रदूषण रूकने से बारिश के चक्र पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जिन नदियों में बरसात भर पानी नहीं आया। उनमें अब काफी मात्रा में पानी बह रहा है। क्षेत्र में हो रही तेज बारिश के कारण जौलीग्रांट एयरपोर्ट के पास थानों वन रेंज में भिदालना नदी का काफी पानी अपर जौलीग्रांट तक पहुंच चुका है। जिससे किसान और क्षेत्रवासी हैरान हैं।
अपर जौलीग्रांट के किसान धान की रोपाई के लिए जूलाई में कई दिनों की बारिश के बाद भिदालना नदी पर बंधा लगाकर अपने खेतों के लिए नदी की बाढ का पानी लाते थे। पूरा बरसात निकल गया, भिदालना नदी में पानी नहीं आया। लेकिन लॉक डाउन ने प्रकृति और पर्यावरण का ऐसा असर ड़ाला कि चार मई की रात भिदालना में आई बाढ के कारण अपर जौलीग्रांट तक काफी मात्रा में पानी पहुंच गया। जिसे देखने के लिए काफी लोग मौके पर पहुंचे।
मई-जून का महीना जंगलों में लगने वाली आग के लिए जाना जाता था। इस महीने नदी में बाढ आने की बात मौजूदा दौर में कोई सपने में भी नहीं सोच सकता है। लेकिन सोमवार की देर रात जब पानी की आवाज अपर जौलीग्रांट के लोगों ने सुनी तो उन्हे विश्वास नहीं हुआ।
मौके पर जाकर देखा तो भारी मात्रा में भिदालना नदी में आई बाढ का पानी जंगल से होता हुआ गांव तक पहुंच गया। किसान गंभीर रावत और राकेश डोभाल ने कहा कि भिदालना नदी में जूलाई या अगस्त में भी लगातार बारिश के बाद ही पानी आता है। लेकिन इस बार मई की शुरूवात में ही भारी मात्रा में पानी आ गया है। जिस पर लोगों को विश्वास नहीं हो रहा है।
इन्होंने कहा
लॉक डाउन में प्रदूषण की मात्रा काफी कम होने से नदियों और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। लॉक डाउन से प्रकृति को काफी कुछ वापस मिला है। सभी को इससे सीख लेनी चाहिए। डॉ0 एसके कुडियाल, प्रो0 वनस्पति विज्ञान।