Dehradun. एयरपोर्ट ऑथारिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के नियमानुसार देहरादून एयरपोर्ट के चारों तरफ बीस किलोमीटर के दायरे में भवन, दुकान या अन्य ईमारत के निर्माण से पहले एयरपोर्ट से एनओसी लेना अनिवार्य कर दिया गया है।
और एएआई देहरादून व स्थानीय प्रशासन की टीम द्वारा एयरपोर्ट के आसपास कई भवनों के निर्माण को आधे में रूकवा भी दिया गया है। लेकिन आश्चर्यजनक बात ये है कि एयरपोर्ट से एनओसी लेने के बारे में स्थानीय लोगों को कोई जानकारी ही नहीं है। जिस कारण लोगों और संबधित विभाग के अधिकारियों में विवाद जैसी स्थिति पैदा हो रही है। एएआई, स्थानीय प्रशासन, नगर पालिका, एमडीडीए या संबधित विभाग की स्थानीय लोगों व जनप्रतिनिधियों के साथ इस नियम को लेकर आज तक एक भी बैठक कभी नहीं हुई है।
जिस कारण एयरपोर्ट से एनओसी लेने के बारे में किसी को भी कुछ पता नहीं है। इस संबध में कभी कोई जागरूकता शिविर या कोई जानकारी भी लोगों को नहीं दी गई है। एयरपोर्ट ऑथारिटी का कहना है कि यह नियम काफी पहले से हैं। लेकिन सवाल यह है कि यदि यह नियम पहले से था। तो फिर लोगों को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई।
अब जब एयरपोर्ट के चारों तरफ लोगों ने अपनी जमीन या जमीन खरीदकर हजारों मकान और निर्माण कार्य कर लिए तो फिर अचानक से लोगों के निर्माण रूकवाकर एनओसी लेने को क्यों कहा जा रहा है।
एयरपोर्ट से बीस किलोमीटर के दायरे में एनओसी लेना अनिवार्य कर दिया गया है। जिसका मतलब है कि हवाई दूरी में बीस किलोमीटर के दायरे में डोईवाला, धर्मपुर, रायपुर, देहरादून और ऋषिकेश तक की विधानसभाएं आती हैं। तब लोगों को ये कैसे पता चलेगा कि एयरपोर्ट से एक किलोमीटर वाले मकान या दुकान को कितना ऊंचा और बीस किलोमीटर वाले को कितना ऊंचा निर्माण करना है।
और यदि यह जानकारी ऑन लाइन उपलब्ध भी है। तब भी लोगों को संबधित विभागों द्वारा इसकी जानकरी देनी चाहिए थी। अब अचानक स्थानीय प्रशासन और एएआई की कार्रवाई से लोगों में हड़कंप जैसी स्थिति बनी हुई है। लोगों को लग रहा है कि एयरपोर्ट के आसपास मकान या दुकान आदि निर्माण कार्य किए ही नहीं जा सकते हैं। जबकि एयरपोर्ट की एनओसी का संबध निर्माण कार्यो की ऊंचाई से हैं। क्षेत्र में हजारों मकान, दुकान, स्कूल, वैडिंग प्वाइंट या होटल ऐसे हैं। जिनके मालिकों ने साडा या एमडीडीएम से कभी नक्क्षा पास तक नहीं करवाया है। ऐसे लोग अपनी जमीन पर मकान बनाने से पहले एयरपोर्ट से कैसे एनओसी लेंगे। ये समझ से परे है।
हमे ही जानकारी नहीं तो जनता को कहां से देंगे
Dehradun. एयरपोर्ट से एनओसी के बारे में जब स्थानीय जनप्रतिनियों से पूछा गया तो उनका कहना था कि उनके सामने हर रोज सैकड़ों निर्माण कार्य हो रहे हैं। लेकिन उन्होंने कभी एयरपोर्ट से एनओसी के बारे में नहीं सुना। एयरपोर्ट के आसपास के क्षेत्र के सभासद राजेश भट्ट, संदीप नेगी, संगीता डोभाल आदि ने कहा कि उन्हे कभी एयरपोर्ट या किसी भी संबधित विभाग द्वारा एयरपोर्ट से एनओसी के बारे में नहीं बताया गया।
उन्हे तो तब पता चला जब एयरपोर्ट के अधिकारी व प्रशासन मकान निर्माण कार्य रूकवाने को मौके पर आए। वहीं एयरपोर्ट निदेशक प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि मकान या अन्य निर्माण कार्य से पहले एयरपोर्ट की एनओसी जरूरी है। जिसकी पूरी जानकारी ऑन लाइन उपलब्ध है। और ऑन लाइन ही इसके लिए आवेदन भी किया जा सकता है।
कैसे लें एनओसी और किसके लिए है जरूरी
Dehradun. आपको आसान भाषा में ये जरूर जानना चाहिए कि एयरपोर्ट की एनओसी कैसे लें, और यह सबके लिए क्यों जरूरी है। कुछ मीडिया ने एयरपोर्ट से एनओसी लेने की आधी-अधूरी जानकारी देकर लोगों को और उलझा दिया है। दरअसल एयरपोर्ट और हवाई पैसेंजरों की सुरक्षा का मुद्दा एक गंभीर विषय है। जिस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
एयरपोर्ट के चारों तरफ का दायरा रेड जोन में है। और एयरपोर्ट से बीस किलोमीटर के दायरे को कई जोन में बांटा गया है। जहां विमान काफी कम ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं। एनओसी का मतलब है आपके भवन की उस ऊँचाई से है। जिससे पता चलेगा कि आपके भवन या निर्माण कार्य की लोकेशन और ऊंचाई क्या है। यदि आपका भवन आदि एयरपोर्ट की निर्धारित ऊंचाई से अधिक होगा तो एनओसी नहीं मिलेगी।
जिन लोगों के मकान बन चुके हैं। यदि उनके मकान की ऊंचाई अधिक है तो उन्हे भी भविष्य में परेशानियों से बचने के लिए एनओसी लेनी चाहिए। एयरपोर्ट से कुछ दूरी पर स्थित एक मंजिला मकानों या निर्माण को एयरपोर्ट की एनओसी की कोई आवश्यकता नहीं है।