

Dehradun. आजादी के अमृत महोत्सव के तहत प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा किसानों की पैदावार बढाने और पौष्टिक अनाज पैदा करने को अभियान चलाया जा रहा है।
इसी कार्यक्रम के तहत ईश्वरीय विवि ऋषिकेश द्वारा जौलीग्रांट गीता पाठशाला में किसानों के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें किसानों को आत्मनिर्भर किसान बनाने को लेकर जागरूक करते हुए यौगिक खेती के बारे में बताकर उन्हे सम्मानित किया गया।
उपस्थित लोगों को जैविक और यौगिक खेती कर सात्विक अन्न उगाने के साथ शरीर को स्वस्थ रखने के दुर्व्यसनों का त्याग करने और नशीले पदार्थ तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, पान, शराब का सेवन ना करने का संकल्प दिलवाया गया।
ऋषिकेश सेंटर प्रभारी आरती बहन द्वारा बताया गया कि खतरनाक रासायनिक पदार्थो के इस्तेमाल से फसलों के अंदर जहर का अंश फैल चुका है। धरती की रगों में जहर दौड़ रहा है। भौतिक सुख-सुविधाओं की अंधाधुंध दौड़ में लोग कई तरह के मानसिक रोग के शिकार हो गए हैं।
कहा कि लोगों की नेगेटिव वायब्रेशन का असर पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों और फसलों के साथ ही पूरे पर्यावरण पर पड़ रहा है। जिससे अब अनाज और फल बेस्वाद लगने लगे हैं। शाश्वत यौगिक खेती से बिना रासायनिक प्रयोग के किसान अधिक पैदावार ले सकते हैं।
वहीं पौष्टिक अन्न और फल उगा सकते हैं। योग शक्ति से फसल और पौधों की ग्रोथ को बढाया जा सकता है। जिसका प्रशिक्षण किसानों को ब्रह्मकुमारी के मुख्यालय राजस्थान माउंड आबू में दिया जा रहा है। और सैकड़ों किसान इससे लाभान्वित हुए हैं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नपा अध्यक्ष सुमित्रा मनवाल ने भी अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम में किसान हरपाल सिंह पुंडीर, विरेंद्र मनवाल, स्वदेश मोहन, आदेश कृषाली, अनिल, शिवराज सिंह, राजपाल सिंह, हरिओम गुप्ता, गजपाल कंडारी को ब्रह्मकुमारी द्वारा सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर सहसंचालिका निर्मला बहन, अरूणा नेगी, अतासी कोठियाल, राजकुमार पुंडीर, संपूर्ण सिंह रावत, पूजा, अनीता तोमर, शोभा चौहान आदि उपस्थित रहे।
पांच तत्वों पर पड़ता है प्रभाव
योग का असर वनस्पति पर भी पड़ता है। योग की शक्तियों का नियमित प्रयोग करने से इसका प्रभाव फसल के साथ ही प्रकृति के पांचों तत्वों पर भी पड़ता है। इससे सभी प्रकार की वनस्पति, फसल या वृक्ष, सूक्ष्म जीव जंतु एवं पर्यावरण में रहने वाले पशु पक्षी भी परमात्म शक्ति से भरपूर ऊर्जा से परिपूर्ण होते हैं।
ऐसे प्रकम्पनों से फसल में बीज और फल अच्छे बनते हैं। अनाज में गुणवक्ता आती है। इसके प्रयोग से लोगों की सेहत भी अच्छी रहती है।
अभियान के उद्देश्य
-किसानों को व्यसनों से मुक्त करना
-अंध विश्वास एवं कूप्रथाओं का उन्मूलन
-विध्वंसात्मक कार्यो में लगे युवाओं को सृजनात्मक कार्यो के लिए प्रेरणा
-पारंपरिक शाश्वत यौगिक खेती अपनाकर पौष्टिक अन्न का उत्पादन
खेती की लागत कम करने के उपाय बताना
-नकारात्मक एवं व्यर्थ चिंतन को समाप्त कर सकारात्मक सोच उत्पन्न करना
-आचरण एवं विचारों की शुद्धता द्वारा प्रकृति को शुद्ध बनाना तथा स्वच्छ एवं स्वस्थ ग्राम्य भारत का निर्माण
-आध्यात्मिक जागृति द्वारा आपसी भाईचारे को बढ़ाते हुए गोकुल गांव की संकल्पना को साकार करना
-किसानों को दी जा रही सरकारी सुविधाओं की जानकारी प्राप्त कराने में मदद करना।

