Dehradun. नगर पालिका डोईवाला वार्ड संख्या पांच, छह और सात (जौलीग्रांट) के चार गांवों के रास्ते को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन से मिलकर अपनी समस्याएं रखी।
प्रतिनिधिमंडल की डोईवाला प्रशासन के साथ सैनिक मोहल्ले से हिमालयन चौक जा रहे रास्ते को लेकर लंबी बातचीत हुई। जिसमें सभासद राजेश भट्ट ने कहा कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट का विस्तारीकरण किया जा रहा है। जिसमें चोरपुलिया वाली साढे छह हेक्टयर जमीन एयरपोर्ट को विस्तारीकरण के लिए दिया जाना प्रस्तावित है।
जिससे कोठारी मोहल्ले, बागी, सैनिक मोहल्ला और बिचली जौलीग्रांट के सैकड़ों लोगों का रास्ता बंद हो जाएगा। इसलिए एयरपोर्ट को जमीन देने से पहले सैकड़ों लोगों के लिए पहले रास्ते की व्यवस्था करनी चाहिए। और उसके बाद जमीन अधिग्रहण की जानी चाहिए।
सभासद ने कहा कि 2007 में जौलीग्रांट एयरपोर्ट का विस्तारीकरण किया गया था। जिसमें किसानों से सैकड़ों बिघा जमीन ली गई थी। तब एयरपोर्ट का विस्तार तो कर दिया गया। लेकिन चार गांवों के कुल पांच रास्तों को बंद कर दिया गया।
कहा कि 2008 के लगभग ग्रामीणों के एक महीने तक चले धरने-प्रदर्शन के बाद भी एयरपोर्ट ने सैकड़ों लोगों को रास्ता नहीं दिया। तब हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट ने अपनी जमीन से सैनिक मोहल्ले से चोर पुलिया तक एक दस फीट चौड़ा रास्ता ग्रामीणों को दिया था। इसी संकरे रास्ते से होकर चार गांवों के सैकड़ों लोग आवाजाही करते हैं।
इस रास्ते में दो कार भी पास नहीं हो पाती हैं। इसलिए एक कार को रास्ते के एक छोर पर खड़ा रहना पड़ता है। और जब वो कार निकल जाती है। तब दूसरी कार इस रास्ते पर आगे बढती है। सैकड़ों मरीज अस्पताल जाने और सैकड़ों विद्यार्थी स्कूल/कॉलेज जाने को इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं।
नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि सागर मनवाल ने कहा कि ग्रामीणों को कम से कम बीस फीट चौड़ा रास्ता दिया जाना चाहिए। वहीं एसडीएम युक्ता मिश्र ने कहा कि एयरपोर्ट का विस्तारीकरण किया जाना प्रस्तावित है। लेकिन लोगों के रास्ते की समस्या को भी ध्यान में रखा जाएगा। और उचित समाधान निकाला जाएगा। मौके पर राकेश डोभाल, अर्जुन सिंह, पुष्कर सिंह बिष्ट आदि उपस्थित रहे।
जिस रास्ते को बंद कर रहे उसी का कर रहे इस्तेमाल
Dehradun. एयरपोर्ट विस्तारीकरण के कारण एयरपोर्ट बाउंड्री के किनारे सैनिक मोहल्ले होते हुए चोरपुलिया तक के जिस रास्ते को विस्तारीकरण के कारण बंद किया जाएगा उसी रास्ते से एयरपोर्ट के कई विभागों के सैकड़ों कर्मचारी आवाजाही कर रहे हैं।
एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ के काफी संख्या में जवान, मौसम विभाग, एमटी आदि विभागों के सैकड़ों कर्मचारी इसी संकरे रास्ते से होकर अपनी चौपहिया या दोपहिया वाहनों से फर्राटा भरते हैं।
ये कर्मचारी ड्यूटी समय पर पहुंचने को इस संकरे रास्ते पर इतनी स्पीड से गाड़ी भगाते हैं कि आए दिन ग्रामीणों के साथ यहां झगड़ा और विवाद होता है। एयरपोर्ट कर्मचारी पहले इस रास्ते का इस्तेमाल नहीं करते थे। अपनी कर्मचारियों की सहुलियत के लिए करीब तीन वर्ष पूर्व एटीसी टॉवर के पास से एयरपोर्ट ने अपनी बाउंड्री तोड़कर एक गेट लगा लिया है।
जिससे अब सैकड़ों कर्मचारी इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। मतलब ये कि 2007 में एयरपोर्ट ने जौलीग्रांट के पांच रास्तों को बंद कर दिया था। और जब सैकड़ों लोगों को एक महीने के आंदोलन के बाद हिमालयन अस्पताल प्रशासन ने एक रास्ता दिया तो उस पर भी एयरपोर्ट के सैकड़ों कर्मचारियों ने आवागमन शुरू कर दिया है।
और अब इस रास्ते को भी बंद किया जा रहा है। उधर एयरपोर्ट प्रशासन का साफ कहना है कि उन्हे लोगों के रास्ते से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने विस्तरीकरण के लिए राज्य सरकार से जमीन मांगी है। इसलिए रास्ता देने की जिम्मेदारी भी राज्य सरकार की ही है।