जल संस्थान ने विस्थापितों को पेयजल बिल भेजा तो मचा हड़कंप


हनुमंत राव कमेटी ने कहा था विस्थापितों से नहीं लिया जाएगा बिल

देहरादून। जल संस्थान द्वारा विस्थापित क्षेत्र अठुरवाला के लोगों को पहली बार पेयजल बिल भेजने से लोगों में हड़कंप जैसी स्थिति पैदा हो गई है।
विस्थापितों का कहना है कि टिहरी विस्थापित होने के कारण उनसे अभी तक किसी भी तरह का कोई पेयजल शुल्क नहीं लिया जाता था। इसलिए वो आगे भी कोई पेयजल शुल्क नहीं देंगे। पेयजल बिल भेजने को लेकर लोगों में जल संस्थान के प्रति गहरी नाराजगी है। राजीव गांधी पंचायत राज संगठन के प्रदेश संयोजक मोहित उनियाल ने कहा कि टिहरी से आए विस्थापितों के साथ सरकार और संबधित विभाग धोखा कर रही है। नगर पालिका के विस्तारीकरण के समय कहा गया था कि विस्थापितों से कोई पेयजल शुल्क नहीं लिया जाएगा। लेकिन अब विस्थापितों को बिल थमा दिए गए हैं। मुख्यमंत्री के विस क्षेत्र में लोगों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

पूर्व ग्राम प्रधान मंजू चमोली ने कहा कि नगर पालिका के विस्तारीकरण से पहले तक विस्थापितों को ग्राम सभा के स्तर से पेयजल उपलब्ध करवाया जाता रहा है। पूरी पेयजल व्यवस्था ग्राम सभा संभालती थी। और किसी भी प्रकार का बिल लोगों से नहीं लिया जाता था। लेकिन अब जल संस्थान विस्थापित में बिना नलकूप, पेयजल लाइन या हैंडपंप लगाए लोगों से बिल वसूलना चाह रहा है। जिसका विरोध किया जाएगा। पुरूषोत्तम डोभाल ने कहा कि हनुमत राव कमेटी के अनुसार विस्थापितों से बिल नहीं लिया जा सकता है। इसका विरोध किया जाएगा। महावीर असवाल और रविंद्र बैलवाल ने कहा कि अठुरवाला के लोगों से पेयजल बिल नहीं लिया जाना चाहिए। कहा कि इससे विस्थापित के लोगों में काफी रोष है।
इन्होंने कहा
हनुमंत राव कमेटी ने जो सुझाव दिए थे। यदि सरकार ने उन सुझावों को माना है तो उसका शासनादेश भी जरूर होगा। यदि विस्थापित लोग उस शासनादेश को दिखाते हैं तो उनसे बिल नहीं लिया जाएगा। विनोद असवाल, जेई जल संस्थान


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